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________________ कहे कलापूर्णसूरि-३ (अध्यात्मयोगी पू. आचार्यश्री की साधनापूत वाणी) (दिनांक : १९-७-२०००, बुधवार से १७-९-२०००, रविवार) वाचना पूज्य आचार्यश्री विजयकलापूर्णसूरीश्वरजी म.सा. प्रेरणा पूज्य आचार्यश्री विजयकलाप्रभसूरीश्वरजी म.सा. पू.पं.श्री कल्पतरुविजयजी गणिवर - आलंबन पूज्यश्री के गुरुमंदिर की प्रतिष्ठा वि.सं. २०६२, फाल्गुन वद ६, दि. १९-०२-२००६, रविवार, शंखेश्वर महातीर्थ - अवतरण - सम्पादन पंन्यास मुक्तिचन्द्रविजय गणि पंन्यास मुनि द्रविजय गणि अनुवादक नैनमल सुराणा : M.A., B.Ed., साहित्यरत्न प्रकाशक श्री कलापूर्णसूरि साधना स्मारक ट्रस्ट आगम मंदिर के पीछे, पो. शंखेश्वर, जि. पाटण ( उ.गु.), पीन : ३८४ २४६. श्री शान्ति जिन आराधक मंडल 2.0. मनफरा (शान्तिनिकेतन), ता. भचाऊ,, जी. कच्छ, Pin : 370 140.
SR No.032619
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 03 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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