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________________ दीक्षा पदवी प्रसंग, वि.सं. २०४१, डीसा ११-९-२०००, सोमवार भादौं शुक्ला-१३ : सात चौबीसी धर्मशाला उत्तरार्द्ध चातुर्मास प्रवेश दीप प्रज्वलन - धीरुभाई शाह ( अध्यक्ष : गुजरात विधानसभा) स्वागत गीत : संगीतकार आशु व्यास हे... जिनशासनना ज्योतिर्धर ने महिमा अपरम्पार; कलापूर्णसूरीश्वर गुरुवर ने, मारा वन्दन वारंवार... जिनशासन शणगार कलापूर्ण सूरिने होजो वन्दन वारंवार... जिनशासन... मरुधर देश फलोदी नगरे, प्रगट्या तेज सितारा, पिता पाबुदानजी माता खम्मादेवीना प्यारा; बालपणामां धर्म-कर्मना उच्च मल्या संस्कारो, आ संसारने मांड्यो छतांये, लागे उपाश्रय प्यारो, करता एक विचार... कलापूर्णसूरिने. (कहे कलापूर्णसूरि - ३000000000 00003 ३१३)
SR No.032619
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 03 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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