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________________ तांबे, चांदी अथवा स्वर्ण के कलश में लेकर अभिषेक करें । दुध से अनेक त्रस जीवों की विराधना होती है। कभी-कभी कुत्ते भी चाट कर जाते हैं । प्लास्टिक के प्याले, डिब्बे आदि किसी भी बर्तन में पूजा की सामग्री अब नहीं ले जायें । किसी बहरे माजी ने यह बात नहीं सुनी हो तो आप उन्हें यह अच्छी तरह सुना दें। जलपूजा भी निर्माल्य उतरने के बाद ही की जा सकती है । जय तलहटी पर भण्डार में सिक्के डाले जा सकते है, परन्तु गिरिराज पर सिक्के नहीं चढ़ाये जाते । सोना, चांदी आदि चढ़ा सकते हैं । नैवेद्य, फल आदि तलहटी पर नहीं रखे जाते, पाटले पर ही रखे जाते हैं । यह पुस्तक पढ़ने के पश्चात् सचमुच परमात्मा की भक्ति में अधिक आनन्द आता है । - साध्वी जिनदर्शिताश्री यह पुस्तक पढ़ने से जीवन में शान्ति का अनुभव हुआ, राग-द्वेष, क्रोध आदि मन्द हुए और निर्णय हुआ कि भगवान की भक्ति करने के लिए अधिक समय निकालना है । - साध्वी विजयलताश्री यह पुस्तक पढ़ने से उत्तम भाव उत्पन्न हुए । ___- साध्वी वैराग्यपूर्णाश्री जिस महापुरुष के नाम से ही जीवन परिवर्तित हो जाता हो, वैसे महापुरुष के वचनों से कितना लाभ ? यह पुस्तक पढ़ने से क्या लाभ नहीं होगा ? यही प्रश्न है ? , - साध्वी नंदीवर्धनाश्री HO. COM ७२ (कहे कलापूर्णसूरि-३0oooooooooooooooooo० १५१)
SR No.032619
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 03 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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