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________________ (३) दीक्षा-जीर्णोद्धार करनेवाले पूज्य प्रेमसूरिजी, पूज्य रामचन्द्रसूरिजी । (४) श्रावक जीर्णोद्धार करनेवाले पूज्य वल्लभसूरिजी ।। इन चार शासन-स्तम्भों ने अत्यधिक कार्य किया है । उत्तराधिकारी केवल सम्हालें इतनी ही अपेक्षा नहीं है, उन्हें आगे भी बढ़ायें । हेमचन्द्रसागरसूरिजी के आचार्य पद के समय मैं ने लिखा था - जिस परम्परा में आप आते हैं, तदनुसार ४५ आगमों को धारण करके भावाचार्य बनें, ऐसी अपेक्षा रखता हूं। आगम के उत्तराधिकारियों को मैं कहना चाहता हूं कि जैसे अभयसागरजी ने आगमों की सुरक्षा की उस प्रकार आप सुरक्षा करें । पूर्व पुरुषों के प्रति हमारी प्रार्थना है कि हम आगमों के अधिक गूढ़ अर्थ निकाल सकें । पूज्य गणिवर्यश्री महोदयसागरजी : कुछ समय पूर्व छोटे महाराज (बालमुनि) ने इतनी सभा में उद्बोधन किया जिससे आनन्द एवं आश्चर्य हुआ। यहां अन्य बालमुनि भी हैं । एक समय ऐसा था जब अल्पायु बालकों को दीक्षित नहीं किये जाते थे । ऐसा कानून भी पारित होने वाला था । उस समय उसका प्रचण्ड विरोध करने वाले आचार्य पूज्य सागरजी और पूज्य रामचन्द्रसूरिजी थे और वे सफल भी हुए । __ हमारे पूज्य गुरुदेव अनेक बार नाम लेते थे जिनमें दो नाम मुख्य थे - पूज्य सागरजी तथा पूज्य रामचन्द्रसूरिजी ।। उनके प्रभाव से ही इन बाल-मुनियों को हम देख सकते पूज्य गुणसागरसूरिजी चातुर्मास हेतु विनंती करने के लिए आने वाले श्रावकों को कहते : 'विद्वान तो नहीं है, परन्तु विधवा साध्वीजी मिलेंगी ।' बीस वर्ष पूर्व प्रतिज्ञापूर्वक ४५ आगमों का अध्ययन चालु था, तब हमारे पूज्य गुरुदेव कहते थे - 'आज आगम उपलब्ध हैं, उसका मुख्य उपकार पूज्य सागरजी महाराज का है।' कहे कलापूर्णसूरि - ३ 00 HOSE WOW WWW WE HAS १०७)
SR No.032619
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 03 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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