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________________ पू. यशोविजयसूरिजी के साथ, पालिताना, वि.सं. २०५६ ४-७-२०००, मंगलवार आषाढ़ शुक्ला-३ : पालीताणा * पयन्ना अर्थात् प्रकीर्णक । आप की भाषा में कहूं तो परचुरण । आगमों में आये हुए परचुरण विषयों का समावेश इन पयन्नाओं में हुआ है । यह कहा जाता है कि भगवान महावीर के चौदह हजार शिष्यों में से प्रत्येक शिष्य ने पयन्ना की रचना की है। * बरसात आनेवाला हो उसके लक्षण पहले से मालूम हो जाते हैं । हमें पता लग जाता है कि अब बरसात आयेगा ही । उस प्रकार मोक्ष प्राप्त होने वाला हो उसके चिन्ह भी पहले से मालूम हो जाते हैं, जीवन-मुक्ति आती ही है । बिजली की चकाचौंध, बादलों की गर्जना, वातावरण में गर्मी को दूर करते वायु की सनसनाहट आदि से जाना जा सकता है कि अभी ही वृष्टि होगी । वि. संवत् २०१९ में गांधीधाम के चातुर्मास मे सायं बाहर जाने के लिए निकला, मेघाडम्बर देख कर मैंने जाने का विचार बन्द कर दिया । दो-चार मिनटों में ही वृष्टि प्रारम्भ हो गई । ___ भगवान की कृपा-वृष्टि होने वाली हो उससे पूर्व जीवों में (४५८ essemomsomosomowo कहे कलापूर्णसूरि - २)
SR No.032618
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 02 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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