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________________ उपोद्घात शाखालम्बितवल्कलस्य च तरोनिर्मातुमिच्छाम्यधः शृङ्गे कृष्णमृगस्य वामनयनं कण्डूयमानां मृगीम् ॥ ऐसे सैकड़ों उदाहरण प्रकृति- निरीक्षण के कालिदास की रचनाओं में उपलब्ध हैं । xix कालिदास के ज्ञान को व्यापकता कालिदास ने अपनी रचनाओं द्वारा यह स्पष्ट कर दिया है कि उनका शास्त्रीय एवं व्यावहारिक ज्ञान कितना व्यापक और सार्वभौम था । भूगोल, खगोल, धर्मशास्त्र, राजनीति, ज्योतिष, आयुर्वेद आदि संस्कृत वाङमय की कोई शाखा ऐसी नहीं जिसकी पूर्णता की झलक उनके काव्यों में न मिलती हो । रामगिरि से अलकापुरी तक का मार्ग मेघ को दिखाते हुए तथा रघु की दिग्विजय यात्रा के बहाने तत्कालीन भारत का पूरा भूगोल उन्होंने वर्णन किया है । रघु ने किन-किन देशों के राजाओं को जीता, अज ने इन्दुमती के स्वयंवर के समय किन देशों के राजाओं को परास्त किया, उन देशों की क्या संस्कृति है, यह देखते ही बनता है । “ धूमज्योतिः सलिलमरुतां सन्निपातः क्व मेघः " कहकर वे बताते हैं बादल कैसे बनता है । आकाशगङ्गा को वे छायापथ कहते हैं, वह क्या है ? इन्द्रधनुष कैसे बनता है आदि का वैज्ञानिक वर्णन उन्होंने किया है। पौराणिक काल से प्रसिद्धि है कि राहु सूर्य और चन्द्रमा को ग्रस्त करता है तो ग्रहण लगता है । कालिदास पहले कवि हैं जिन्होंने काव्य में यह स्पष्ट घोषणा की कि सूर्य या चन्द्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ने से ग्रहण लगता है । इस विषय को सिद्धान्तशिरोमणि के गोलाध्याय में ग्रहणवासना का भाष्य करते हुए विद्वान् टीका ( मरीचि ) - कार मुनीश्वर ने अत्यन्त विद्वत्तापूर्ण तर्क देकर सिद्ध किया है । कालिदास ऐसे विमानों का वर्णन करते हैं जो जल, स्थल और आकाश में समान गति से चलते हैं । साथ ही वे उनमें यन्त्रों का नहीं, वसिष्ठ के मन्त्रों का प्रभाव बताकर शास्त्र की महत्ता सिद्ध करते हैं । विमानों में चन्द्रशाला दिखाकर वे बताते हैं कि उस समय बहुमंजिले विमान भी होते थे और ऐसे भी विमान थे जो चालक के मनोभावों को समझ जाते थे । ज्योतिष और आयुर्वेद के ऐसे सूक्ष्म सिद्धान्तों का उन्होंने प्रयोग किया है जिन्हें अनुभवी व्यक्ति ही प्रयोग
SR No.032598
Book TitleRaghuvansh Mahakavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalidas Makavi, Mallinath, Dharadatta Acharya, Janardan Pandey
PublisherMotilal Banarsidass
Publication Year1987
Total Pages1412
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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