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________________ ३१ महावीरे माऊए अयमेयारूवं अज्झत्थियं पत्थियं मणोगंयं संकप्पं समुपणं विजाणित्ती एगदेसेणं एयइ ॥ ८९ ॥ तए णं सा तिसला खत्तियाणी हट्ट जाव हियया एवं वयासि - नो खलु मे गन्भे हडे जाव नो- गलिए, मे गन्भे पुव्विं नो एयह इयाणि एयह त्ति कट्टु हट्ट जाव एवं वा विहरइ ॥ ९०॥ तणं समणे भगवं महावीरे गर्भत्थे चेव इमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिन्हइ नो खलु मे कपर अम्मापि हि जीवंतेहि मुंडे भवित्ता अगारवासाओ अणगारियं पव्वइत्तए ॥ ९१ ॥ तणं सा तिसला खत्तियाणी व्हाया कयबलिकम्मा कयकोउयमंगलपायच्छत्ता सव्वालंकारभूसिया तं गन्भं नाइसीएहि नाइउण्हेहिं नाइतित्तेर्हि नाइक एहिं नाइकसाइएहि नाइअंबिलेहि नाइमहुरेहिं नातिनिहिं नातिलक्खेहिं नातिउल्लेर्हि नातिसुकेंहिं उभयमाणसहि भोयणच्छायैणगंधमल्लेहि ववगयरोगसोगमोहभयपैरित्तासा जं तस्स गमस्स हियं मियं पत्थं गब्भपोसणं तं देसे य काले य आहारमाहारे-. माणी विवित्तमउहि समणासणेहिं परिकसुहाए मणाणुकूलाए विहारभूमी पसत्थदोहला संपुन्नदोहला सम्माणियदोहला अविमाणियदोहला बुच्छिन्न दोहला विणीयदोहला सुहं सुहेणं आसयह सयति चिंटुङ निसीयह तुयट्टइ सुहं सुहेणं तं गन्धं परिवहइ ॥ ९२ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जे से गिम्हाणं पढमे मासे दो पक्खे चित्तसुद्धे तस्स णं चित्तसुद्धस्स तेरसीदिवसेणं नवहं मासाणं बहु १ अंगुलिया कुच्छिभागंसि एगदेसेणं पयति ॥ ८९ ॥ तते णं सा तिसला खतियाणी तं गर्भ एयमाणं वेयमाणं चलमाणं फेदमाणं जाणित्ता हट्ट जाव रोमकूवा एवं च णो खलु मे हडे से गब्भे मो खलु मे मडे से गब्भे णो खलु मे चुप से गन्भे णो खलु मे गलिते से गब्भे, एस पुणो यति इदाणिं पयति त्ति कट्टु हट्ठ जाव रोमकूषा ॥ ९० ॥ छ ॥ २ गब्भगते वेध समाणे इमे ॥ ३ व्यणओदणगंधमलालंकारेहिं वव च ॥ ४ परिस्तमा जं अर्वा० ॥ ५ ला वषणीय अर्वा• ॥ ६ सीपक्खेणं नम्र छ ॥
SR No.032597
Book TitlePavitra Kalpasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Bechardas Jivraj Doshi, Sarabhai Manilal Nawab
PublisherSarabhai Manilal Nawab
Publication Year1952
Total Pages458
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & agam_kalpsutra
File Size26 MB
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