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________________ APPENDIX] 7 सार्द्ध सुसप्तसहस्रक राजत मुद्राप्रमितमूल्यं मुद्राभिः । कृतमूल्यं RAJAPRASASTI INSCRIPTION OF UDAIPUR मनमूति (सिं) नामक रि 8 सामसिंगारसम भिद्य (घ) मपि 9 बहुलानि ॥११॥ तुरं (र) गवरं ॥१०॥ से ( स ) साई सप्तशत नित राजमुद्रा र वितमूल्यं हेममयान्यंव (ब) राणि प्रेमावरपूर्व किल माधवजोसी [सु* ? ]हस्ते हि 10 हाभिधाय हाडानूपालाय ॥ १३॥ मुद्राणां कृतमूल्यं द्विरद (दं) 11211 तु गर्भभव (च) तुरं 11 सहस्त (ख) प्रतिक राजत मुद्रारचिन (त) मूं (मू) स्यं तुरगं ॥ १५ ॥ सत्साद्ध ( र्द्ध) सप्र (प्त) शतमितराजन (त) मुद्राप्रमिं (मि) तमूल्य (ल्यं ) * । बी (बी) काने रिस्फुटानिये नगरे प्रेतिक (वा) राणेो १२ ॥ ॥ रावाय भावसिं सात बइ ( टू ) सप्रात (प्तति) युक्त्रिशताग्रे (ग्रेः ) वशसहस्रंस्तु । राजतहोणहारास्य ( एवं ) ॥ १४ ॥ सा - सहेमा (मा) व (ब) राणि चंद्र (चंद्राय 73 गतर (रं) । 16 गु (त) मुकादशसहस्रमूल्यं प्रतापश्ट (शुं ) गारं मुकुटा) स (सा) 'सप्तशतभि 1 तेजनिधाना राणमणिः । बूंदीनगरे मुहमति (सिं) हामि 12 सिरताजाभिषमपरं हय ( ) प्रेमाम ) ॥१६॥ 13 घाय रावाय 1 सार्द्धं द्विताग्र लसत्ससस हल (बा) घ ( द ) ( ) यमुनाभिः गजराजं फलेदोलतिशुभाभिषं तुरगं [*] साथ (ई) सह मोह [न* ] सज्ञ (संशं) हेमपूर्ण वसनंध (नौषं ) 14 खप ( प्र ) मित' राज [त * ] मुद्रारचितमूल्यं ॥१८॥ कृतमूल्य ( ल्यं) हयसरसं हयमन्य (न्यं) 15 शया गृहीत्वा भट्टोगाद्दारकानाथ: । रामपुरानगरे त्वथ सबै ( ) मिद ( दं) ता सोपयामास ॥२०॥ भाटी भूपालाय रावलवर 'अमरसिंहाय । राज ॥२१॥ करिणं सर्व शोभायं जास्कर भद्द (ड) कर (१) (ट्ट) (रे) ॥१७॥ इतमूर्य सार्द्धं सप्तशतं रूप्यमुद्राणां [1*] ॥१९॥ राजा राजमुद्रासार्द्ध महरूप्रमितमूल्यं । 17 तप्यमुद्रया (ब्रा) भिः ॥२२॥ कृतमूल्यमपरमश्वं सूरतिमूर्ति (तिं)च हेमवसनोधां (नौघं ) । एतत्सवं (बं) जोसीदेवानंदस्य किल हस्ते ॥२३॥ दत्वा (स्वा) जेसलमेरौ 18 महापुरे प्रेमपूर्वमपि संप्रेषितवाने स राजवीरो नृपतिधीः ॥२४॥ जसवंतसिंहाने रावल (द) सहस्रंस्तु पंचशता राम 1 The first half of this verse is missing. The second quarter of this stanza is too short by four syllabic instants. To sot the metre aright we may read] दातासिद्दशसहस्तु । • Instead of प्रतिक read प्रमितक. This half verse is in excess here. Compare above verse 15 and n. 1. The metre requires this syllable to be long. ● This tā is unnecessary and hence must be omitted. "The absence of sandhi is in favour of the metro. 15 DGA/52
SR No.032583
Book TitleEpigraphia Indica Vol 29
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirananda Shastri
PublisherArchaeological Survey of India
Publication Year1951
Total Pages432
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size21 MB
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