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________________ 7 C ४ 10 2002 2 12 14 22 24 26 28 i 30 K. N. DIKSHIT. 32 उत् रररुलता शतिका देश चालू व आधी करून रिख । इति करकर (यला नक कवक र ব"জक मित्र मूল बम मल्ल चेचरचय iia NIVINA COPPER-PLATE GRANT OF DHARMARAJADEVA. iib ল(বক लसु बुद्धि द्या विद्वान है। नय कूष्यगृ रुपल संच (रु च निराशी याला विष्ट । च 16. ब्रावो की षुभ्रत्र में লविकेनिक दल 16 नानखान एसी कि केक झबधपूरी রউদীনও 18 तमिति (कुरु लियल कालिका व 18 घरी यावना आदि का काफिला की महारा -খ यह लेख ( निखिल জনদেবসভন। নলট यान पनि युद्धा ही ग এ उद SCALE: TWO-THIRDS. दान 2 य ACC यह प्रशाद च केशिक इन झा 4 8 10 12 14 20 रा अब यूयमुटाला मा सिने न রয न बदलामा लीली तर हाल दक्षिषक लढता कर तरच ते रुक कर एक शि की है दानवः। ॐ बसिनाऊ পধ घर सह। (1) ই(2) शतकातरख द एकताका विषद (वीएस এनत्र खतात तिमी यरिवसँग जहाँ दोको ए उनका यছित 26 28 द पोर दिया ललन सात तास का रक्षक (क(तिरी) (संत्रा व जोगराजा मला प या कुन 22 24 30 32 SURVEY OF INDIA, CALCUTTA.
SR No.032575
Book TitleEpigraphia Indica Vol 21
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirananda Shastri
PublisherArchaeological Survey of India
Publication Year1931
Total Pages398
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size18 MB
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