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________________ 2 10 12 6 14 8 16 18 22 20 26 24 30 32 स्वर व वादरतावा मान्नाकिन लं कता घटता का क्या क मल माटा वववन्धु (धन विस्तारित कसल लिगल (दलाल का सुरुः क य क उ मुराधिकर एकल समर पर नामक कामातयति ब्रदर संधयश्री ने र मुदन युद्ध लिया अपटू नवलमल्ल लोक संगः सवत मुल्य व देव ।। अखियाँ नाम जो कियार के इस रसाया कह कर स्वयं । सस्मादवियना कर परिय ॐ नायिका सुरात नागनिदान चालिसा मध्याङ्गराकान टानक दल (राजाय दिन नामात्य कि न त नाजीर किट बैंक प तिक खाद (गाया व मुलतः स्वया कायल मिलाभक गागामालक दयानन्ददावाद जयरातमा बसु नाथाः काची याद य जन का विकल लामा जस्त नासा मुद पंप नहर का पुल व दात राहयानी यल दर पुरावादिनाका तर या समिपालाः करं मुकुल मिल हालिमालीया मानविक नमी मिलत (तामानयत्रि हिना रानी उमिवत होत सारा अवार मनानि पये पिली मायं नः प्रतियतामा मया न प रु गलीलाय नानयान विकृतनाथ की शाम वाष्कुल सल्लम हरि मात्र मादरू नियामा निरवटा धायाशा की लक्ष्यन्यसमा डुवन प्रसाना के मनोलया 22 12 Bagumra plates of Indraraja III. First set. लक पारितले दुलारा कमल कुर्दिश्रा (ताप्‌न कपिन्वासिले तुला दाहिमच्य यूनाया नयानि पुरातन धारा 18 सापि श्री संतुरा राजम की कमान मगाराम ষাखি युकमया दूर श्रीसानी नाना कसं मला काल तुम्हा थर नान 20 तक टका यादह वैषिलইलुक व गुलाल काल के भारत क्या दरवारविनापिकी पुल की मनियसाममा जाता काही पति पत्र नवनाट लगाकर गीर मेनुकाइ नाच र (वेवी नाम सा नदि मुला मुरादारासाला के या मुझे यमला कादारा मंगल की नजरूनि रुि रहेको लिखित परेमा देते मदनम श्री इगड गलत इस "जय जाला । अयाल ने न वह लिसाना का । दि यान्त यह वाताव दरनिय वश्वव पुना काय सांय की लागत सिद्धः साकु सुनार (नेवले सिवान या प्रा· न कुछ नयज्ञानात लहका कलाका तरति । सालाप 28 छाछल नह इति शुद्धः समरुप च दीनः कीर्तिमान परिवलन मध्य लागिपर लक्ष्य निवडयात विकलव्य के कामले गा सकलगु लगला विद्य करने के मूल्य प्रामिसाल-गार युवाहनाय कुल कुमुर कुः शुक श E. HULTZSCH. SCALE 45. 6 W. GRIGGS, PHOTO-LITH. 8 10 12 14 16 22 24 26 28 30 32
SR No.032563
Book TitleEpigraphia Indica Vol 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorE Hultzsch, Sten Konow
PublisherArchaeological Survey of India
Publication Year1907
Total Pages498
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size28 MB
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