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________________ 38 १ . वति জন] জণিक्रमादिता मामू आनि कुजित रुपमा शुद्धः कंधार जतिः सह। जवल स्पनिवं वाल की वहा सारा किंवा नाटक मनसेनं विद्धि भाईचा विवजन लितास का कलेका मत जाना वहीनी नाका गुफा का प्रकोपाविव काला संवेदना ट्रक्कटककुलजी वल्लि जाता जाता नायक सुखे क क न लीन एजीपाल तापद हम यानावसभावाविल माझम बंगु कबी कालःयेकाना सायदर्शि नवलपार्यामादय: कानामिवेति कवि वा वयति दारुव पालाद्दा सुलट कुलतिलकाताल भी निवसलिल किती जाती है या केा बालुका व सावन सोमाली श्रीतिले रुपा लउपाय तयाला का दद्याद्योग वैदिकार्य सनिवासी तु तेन नमि पाला नहीं जा क द्या. स मे जीनत ग्रीम सामू दिवावका दिवसानु औ सावमा समय वद्भ व विविधता। तो बनायिका लय अधिव॥ यसा प्रताप हाल में मदगुप्नोती वा जादा खावावलिःपठाउन जाल काल्पे दिमां उपसि विविश्वात वन असा विजित माना वन मावि स व संति किसानले मनः सात मृगा ँव वैकाधिषिमांत नातिगा प्रसन वलय र निजकात्रा ॥ तर पिया की वनौतिका माद्रवल भविमान व साथी पास गुपता पता नागीय 52 का वास ॥ उमेव सेवाका मुदा सर्वनामय घासला सासूससुर व चीन व पांगविक्रमादिताका मान विकमा कानदूतले ताडितासामने বल मद्दिषà लाभा ये वासुकिला मिशन सीनेषु दुसा कृतिः काल सोमसमासे नियुवाको बादशहा निःकीर्तिर्यस्य तऽ शुभावित कि (ग्राकानि कितीसा सघनी मला समये वास्तवि 40 42 44 46 48 50 54 56 iib 88888 विली वनग्माला दिनी सितोपियञ्चाकको द्वप्रति षदा किंय की विरुवा प्रतिक्रिय पापिलो कमलकीयद्यात दोघसा सिद्धारा ग्यामनिकमा सर्वताशयः प्रभा का काह दया 58 मिसेमा कलस मीषदेस उनी घी बैल समता या ज्ञानमाड मा पामरुद्वारा कहत -मय कुलतिलक दालु कारू श्रीमरुवक मल्लदेव जी महत्वहमनमेव कुतालीस घोल ব " घास व 9 मान का ना हू. पतिविषयपनि गानै वाट का युवा के कि युवा का (वे का चिक मदन नादीशमादि मृता युवः सविदितया महिना कंपकाला तीन संवत एक्त सुरुङ्गादवि के नातेषु ३० पवनमा कासी मास वै शुन पार्टीमा संगसोगगृहपतिको ल्ला पुन काटतीजन याजकादिषद किनवार्य वेदवेदांग पर रमायचीयां प्राय यदेवल कुमयित सहाय पाय दो कम चितरुद्वमुदेवी सोनू हाय करिव नाकात में अलंत गैस प्रमला कौसी माम ग्रामोद तैः॥सानापोटीः॥ पूर्वतः ॥ द्वीगा मी काम ग्राम्र ॥ दकि हा कामग्रामः॥पस्सिंग त अरु 'ड वाडी माम ग्रामः॥ उनन्तः॥वी काम ग्रामः॥ ए सिवप्पासकीय सीमासहितः स वृक्ष माला कुलः। समीहि न णादयः। रोऊ की याम क 68 लिपी निविदा समेत अप्पट का नाम न विसहितः । स क स क मेसीति नागजिहि-माती न कि मुनाजति पनि पालकी यः ॥ॐ ॐ चंद्र नाच नाचे देवी वासन 70 लावायो ने तव सदस विश्वा खाजाय ते क्रिश्चिः ॥ बहु सिसुवाद नागा सियाम सादा खाना दाल नाम देगा पूर्ण क॥ सामोको यस प्रति कॉले. का 72 पालकी यावद्भिःसर्वातमज्ञाविकः चितिको यो याबाबत नराः मरुजींना ड्राরনাজ" हब्रराजले मीम र्दिक मा दिता श्रीमहि कमलादे वय द्रরिमरा 66 iii न
SR No.032508
Book TitleIndian Antiquary Vol 16
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJohn Faithfull Fleet, Richard Carnac Temple
PublisherSwati Publications
Publication Year1984
Total Pages408
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size18 MB
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