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________________ શ્રી ગુરુ ગૌતમસ્વામી ] [७६८ तिहुं तिहुं नियविजविकासू केवल पुढविं गरुया आगम देव विमाणी विसथारो समवसरण सालो किंकिल्लि किरि पामुक्खो ततु दिठवाउ वास पोरिसि त्रण-त्रण निज-विद्या विकास केवलज्ञान पृथ्वीमां वडा, गौरववाळा, आगमन वैमानिक देव विस्तार तीर्तंकरनी धर्मसभा शाल-कोट अशोक वृक्ष किल-खरे (अव्यय) प्रमुख-वगेरे तत्त्व दृष्टिवाद-द्वादशांगीरूप जैन आगम चंदनादि द्रव्यो- चूर्ण पौरुषी–जैनप्रसिद्ध पुरुषप्रमाण छायाप्राप्त कालविशेष पादपीठ पर संख्यातीत असंख्य भवांतरो-पूर्वभवो छद्मस्थ-केवलज्ञान पूर्वेनी अवस्था । केवलज्ञानी श्रुतकेवली-दृष्टिवादना ज्ञाता बे उपवासना पारणे बे उपवास करे विशिष्ट सिद्धिओथी समृद्ध यश होड, स्पर्धा कौतुक शुभ ध्यान त्रण पंक्ति पावडीए-पगथिये तापस स्थूलकाय विद्यचारण-जंघाचारणनामे लब्धि पयठणी संख्यातीत भवंतर छदमत्यु केवली सुयकेवली छट्टि तपु पारइ लबधिसमिद्धो जसु तुडि कउतिगु सुहज्झाण तिणि ताली पावडिय. तावस थूलतणु चारणलबधि PC
SR No.032491
Book TitleMahamani Chintamani Shree Guru Gautamswami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Devluk
PublisherArihant Prakashan
Publication Year
Total Pages854
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size42 MB
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