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________________ 421 जैन-विभूतियाँ 5. श्री अभय कुमार नवलमल फिरोदिया पूना के फिरोदिया खानदान ने देश के राष्ट्रीय एवं औद्योगिक इतिहास में अपनी अलग पहचान बनाई है। सन् 1944 में जन्मे अभयकुमारजी के पितामह श्री कुन्दनमलजी ने गाँधीजी के 'भारत छोड़ो आन्दोलन'' में सक्रिय सहयोग दिया एवं जेल गए। वे 1946-52 में मुम्बई राज्य धारा सभा के स्पीकर चुने गए। अभयकुमार जी के पिता श्री नवलमलजी स्वतंत्रता आन्दोलन में सक्रिय रहे एवं जेल गए। औद्योगिक जगत को उनका "ओटोरिक्शा'' अवदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। धार्मिक परम्परा, राष्ट्रीय विचार एवं औद्योगिक क्षमता को विरासत में पाकर अभयकुमारजी ने उत्तरोत्तर उनका विकास किया। वे 'बजाज टेम्पो लिमिटेड' के चेयरमेन एवं मेनेजिंग डाईरेक्टर हैं। अनेकानेक धार्मिक, औद्योगिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक संस्थानों को उनका संरक्षण एवं सहयोग हासिल है। गाँधी नेशनल मेमोरियल सोसाईटी, सन्मति तीर्थ, अमर प्रेरणा ट्रस्ट, श्री फिरोदिया ट्रस्ट आदि संस्थानों के चेयरमेन एवं नवल वीरायतन (पूना), वीरायतन (राजगृह), एजूकेशन सोसाईटी (अहमदनगर) के प्रेसिडेंट हैं। उन्हें अहिंसा कीर्ति न्यास (नई दिल्ली) ओसवाल बंधु समाज (पूना) आदि संस्थानों के ट्रस्टी होने का श्रेय प्राप्त है। सन् 2001 में उनके सांस्कृतिक अवदानों के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के हाथों 'जैन रत्न' एवार्ड से नवाजा गया। 6. श्री भंवरलाल जैन (चोरड़िया) आधुनिक जलगाँव के निर्माता कहलाने वाले श्री भंवरलालजी जैन ओसवाल वंश के दैदीप्यमान नक्षत्र हैं। उनके वैभव की कहानी अनूठी है। उनके पिता साधारण कृषक थे। युवक भंवरलाल किरोसिन की टंकी बैलगाड़ी पर रख घर-घर, गली-गली घूमकर तेल बेचा करता था। मेधावी तो वे थे ही। बी.कॉम., एल.एल.बी. होने के बावजूद अफसराना पद ठुकराकर उन्होंने स्वतंत्र व्यवसाय को अहमियत दी। शुरु में वे किसानों को तेल, बीज और उर्वरक सप्लाई करते रहे। सन् 1978 में केले का पाउडर बनाने की एक खस्ताहाल औद्योगिक इकाई खरीद ली एवं मशीनों का नवीनीकरण कर पपैया से पेपीन बनाने का सक्षम उद्योग स्थापित किया। यहीं से भाग्य ने पलटा खाया। जल्दी ही वे पेपीन के एकमात्र निर्माता एवं निर्यातक बन गए। विश्व की बीस प्रतिशत माँग भारत पूरी करने लगा। केन्द्रिय एवं राज्य सरकारों ने आपको इस औद्योगिक क्रांति के लिए पुरस्कृत किया। सन् 1980 में उन्होंने अपनी औद्योगिक रूझान का लक्ष्य पीबीसी पाईप को बनाया, जो कृषकों के सिंचाई का मुख्य साधन है। सिंचाई के संसाधनों में क्रांति लाने का श्रेय भी आपको है। आपने सर्वप्रथम ड्रिपटेनोलॉजी विकसित कर समूचे देश में नाम कमाया। इस पद्धति
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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