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________________ 336 जैन-विभूतियाँ 83. राजा विजयसिंह दूधोड़िया (1881-1933) जन्म : अजीमगंज, 1881 पिताश्री : विशनचन्द दूधोड़िया पद/उपाधि : लार्ड इरविन द्वारा 'काउंसिल ऑफ स्टेट' के सदस्य मनोनीत (1929), राजा (1908) दिवंगति : 1933 N __मुर्शिदाबाद (अजीमगंज) का दूधोरिया घराना किसी समय बुलन्दी पर था। सन् 1918 में सुप्रसिद्ध प्रकाशक ‘ठक्कर स्पिंक द्वारा प्रकाशित मोनोग्राफ पुस्तिका 'दी दूधोरिया राज फेमिली ऑफ अजीमगंज' के अनुसार क्षत्रियों की चौहान वंश परम्परा की 13वीं पीढ़ी में दूधोराव हुए। वे शैव मतावलम्बी थे। सम्वत् 222 में उनके जैन धर्म अंगीकार कर लेने के उपरान्त उनके वंशज 'दूधोरिया' कहलाने लगे। सन् 1774 में इस खानदान के हजारीमलजी दूधोरिया राजलदेसर से अजीमगंज आकर बसे । इनके वंशज हरकचन्दजी ने खूब समृद्धि हासिल की। इन्होंने अनेक शहरों में अपनी गद्दियाँ स्थापित की। सन् 1862 में उनकी मृत्यु हुई। उनके दो पुत्र थे-बुद्धसिंह एवं विशनचन्द। दोनों ही मेधावी थे। उन्होंने महाजनी व्यापार बंगाल प्रदेश में खूब फैलाया। धार्मिक एवं सामाजिक सत्कार्यों में उन्होंने प्रचुर धन अर्पित कर यश कमाया। राय बुद्धसिंहजी सन् 1904 में बड़ौदा में होने वाली अखिल भारतवर्षीय जैन श्वेताम्बर कॉन्फ्रेंस के (राय बुद्धसिंहजी दूधोड़िया)
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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