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________________ [ 71 ] मुसलमान आदि कोई भी धार्मिक साहित्य में मेरे देखने में कहीं पर नहीं आया है कि जन्म-जात वैर, विरोध, भोज्य-भक्ष संबंध रखने वाले पशुपक्षी एक साथ मनुष्य के साथ बैठकर उपदेश सुने हों। तीर्थंकर के पादमूल में इस प्रकार जन्मजात बैर-विरोध को रखने वाले अनेक पशु-पक्षी एक साथ प्रेम से बैठकर उपदेश सुनते हुए बताते हैं कि विश्व में एक ही अद्वितीय पूर्ण अहिंसा के आराधक, प्रचार-प्रसारक तीर्थंकर अरिहन्त हैं। क्योंकि "अहिंसा प्रतिष्ठायाम् तत्सन्निधौ बैर-त्यागः" जो पूर्ण अहिंसा के आराधक, प्रचार-प्रसारक होते हैं उन्हीं के सान्निध्य में दूसरों के बैर भाव भी विलीन हो जाते हैं जिस प्रकार सूर्य के सान्निध्य से अंधकार विलीन हो जाता है । समवसरण में वन्दनारत जीवों की संख्या जिणवंदणापयट्टा पल्लासंखेज्जभागपरिमाणा। चेट्ठति विविहजीवा एक्केक्के समवसरणेसुं ॥938॥ ति० प० भाग-2, अ० 4 एक-एक समवसरण में पल्य के असंख्यातवें भाग प्रमाण विविध प्रकार के जीव जिनदेव की वन्दना में प्रवृत होते हुए स्थित रहेते हैं ।।929॥ अवगाहन शक्ति की अतिशयता कोट्ठाणं खेत्तादो जीणक्खेत्तंफलं असंखगुणं । होदूण अपुट्ठत्ति हु जिणमाहप्पेण ते सव्वे ॥939॥ समवशरण के कोठों के क्षेत्र से यद्यपि जीवों का क्षेत्रफल असंख्यातगुणा है तथापि वे सब जीव जिनदेव के माहात्म्य से एक दूसरे से अस्पृष्ट रहते हैं ॥9300 यद्यपि समवसरण का क्षेत्रफल अधिक है परन्तु समवसरण के मध्य में स्थित गंधकोटि उत्कृष्ट से छह सौ धनुष एवं जघन्य से पचास धनुष प्रमाण है। इसलिए गंधकोटि का क्षेत्रफल समवसरण के क्षेत्रफल से बहुत कम है। गंधकोटि में पूर्णवर्णित बारह सभाओं में मनुष्य, पशु-पक्षी, देव बैठकर एक साथ उपदेश सुनते हैं। उनकी संख्या पल्य के असंख्यातवें भाग प्रमाण (असंख्यात) अर्थात् असंख्यात हैं। असंख्यात जीवों के बैठने योग्य क्षेत्र का क्षेत्रफल बारह सभा के क्षेत्रफल से असंख्यातगुणा कम है। भौतिक विज्ञान, क्षेत्रगणित, अंकगणित के सिद्धान्त के अनुसार बैठने योग्य क्षेत्र का क्षेत्रफल एवं बैठने वाले जीवों के आसन का क्षेत्रफल समान होना चाहिए । परन्तु यहां पर बैठने योग्य क्षेत्र के क्षेत्रफल से बैठने वाले जीवों का क्षेत्रफल असंख्यात गुणा है। यहां पर स्वभाविक प्रश्न होता है कि, कम क्षेत्रफल में अधिक जीव कैसे बैठ सकते हैं ? इसका उत्तर देते हुए आचार्य श्री ने बताया है कि यह जिनेन्द्र भगवान के अलौकिक महात्म्य का फल है। • एक छोटे से कैमरे में हजारों मनुष्यों की प्रतिच्छाया अंकित हो जाती है। मनुष्यों का क्षेत्रफल हजारों वर्गमीटर हो सकता है । परन्तु कैमरा के लेन्स का क्षेत्रफल कुछ सेन्टीमीटर होता है। जिस प्रकार एक बहुत कम क्षेत्र विशिष्ट लेन्स में अधिक क्षेत्रफल में स्थित एवं अधिक क्षेत्रफल विशिष्ट मनुष्यों की प्रतिच्छाया आ जाती है।
SR No.032481
Book TitleKranti Ke Agradut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanak Nandi Upadhyay
PublisherVeena P Jain
Publication Year1990
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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