SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 46
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ 25 ] जन्म सन्देह का प्रचार ततोऽबुद्ध सुराधीशः सिंहासन विकम्पनात् । प्रयुक्तावधिरुद्भूति जिनस्य विजितैनसः ॥9॥ आदि पुराण । पर्व 13। पृ० 283 तदनन्तर सिंहासन कम्पायमान होने से अवधिज्ञान जोड़कर इन्द्र ने जान लिया कि समस्त पापों को जीतने वाले जिनेन्द्र देव का जन्म हुआ। ततो जन्माभिषेकाय मति चक्के शतक्रतुः । तीर्थ कृद्भाविभव्याब्ज बन्धौ तस्मिन्नुदेयुषि ॥ 10 ॥ आगामी काल में उत्पन्न होने वाले भव्य जीव रूपी कमलों को विकसित करने वाले श्री तीर्थंकर रूपी सूर्य के उदित होते ही इन्द्र ने उनका जन्माभिषेक करने का विचार किया। तदासनानि देवानामकस्मात् प्रचकम्पिरे । देवानुच्चासनेभ्योऽधः पातयन्तीव संभ्रमात् ॥11॥ उस समय अकस्मात् सब देवों के आसन कम्पित होने लगे थे और ऐसे मालूम होते थे मानो उन देवों को बड़े संभ्रम के साथ ऊँचे सिंहासनों से नीचे ही उतर रहे हों। शिरांसि प्रचलन्मोलि मणीनि प्रणति दधुः । सुरासुर गुरोर्जन्म भावयन्तीव विस्मयात् ॥12॥ जिनके मुकुटों में लगे हुए मणि कुछ-कुछ हिल रहे हैं ऐसे देवों के मस्तक स्वमेव नम्रीभूत हो गये थे और ऐसे मालूम होते थे मानो बड़े आश्चर्य से सुर, असुर आदि सबके गुरु भगवान जिनेन्द्र देव के जन्म की भावना ही कर रहे हों। घण्टा कण्ठीर वध्वान भेरी शङ्काः प्रदध्वनुः । कल्पेश ज्योतिषां वन्य भावनानां च वेश्मसु ॥13॥ उस समय कल्पवासी, ज्योतिषी, व्यन्तर और भवनवासी देवों के घरों में क्रम से अपने आप ही घण्टा, सिंहनाद, भेरी और शंखों के शब्द होने लगे थे। तेषामुद्भिन्न वेलानामब्धीनामिव निःस्वनम् । श्रुत्वा बुबुधिरे जन्म विबुधा भुवनेशिनः ॥14॥ उठी हई लहरों से शोभायमान समुद्र के समान उन बाजों का गम्भीर शब्द सुनकर देवों ने जान लिया कि तीन लोक के स्वामी तीर्थंकर भगवान् का जन्म हुआ है। ततः शक्राज्ञया देव पृतना निर्ययुर्दिवः । तारतम्येन साध्वाना महाब्धेरिव वीचयः ॥15॥ तदनन्तर महासागर की लहरों के समान शब्द करती हुई देवों की सेनाएँ इन्द्र की आज्ञा पाकर अनुक्रम से स्वर्ग से निकली।
SR No.032481
Book TitleKranti Ke Agradut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanak Nandi Upadhyay
PublisherVeena P Jain
Publication Year1990
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy