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________________ hooooooooo पाँचवा गुण उचित स्थिति जो सेवे सदा प्रसिद्धं च, देशाचारं समाचरन् । (प्रसिद्ध देशाचार-पालन) उन उन देशों के प्रसिद्ध आचारों का पालन करना अत्यन्त महत्वपूर्ण गुण है। शिष्ट-पुरुषों द्वारा आचरित तथा सैकड़ों वर्षों की परम्परा से रुद बने हुए प्रसिद्ध आचारों के पालन से हमारी आत्मा प्राय: निर्मल एवं निर्विकार हो जाती है। 'जो पुराना है वह सोना है' इस विचारधारा की भारी हँसी उड़ाने वाला वर्तमान तथाकथित सुधारक-समाज सचमुच कैसा हानिकारक है, जिसकी आलोचना गाँधीजी ने 'हिन्द-स्वराज्य' नामक पुस्तक में की है। स्त्री को परतन्त्र रखने के पीछे भारतीय संस्कृति का कैसा उत्तम आशय था? ‘डेरियों ́ के दूध एवं गायों की वर्तमान समय में कैसी दुर्दशा | हुई है ? आयुर्वेद - विज्ञान को नष्ट करके हमने क्या लाभ उठाया? इन समस्त प्रश्नों के वैध उत्तरों से युक्त इस गुण के विवेचन में आर्य परम्परा के प्रसिद्ध आचारों के पालन की आवश्यकता के सम्बन्ध में भी सुन्दर बातों का समावेश किया गया है। आप इसका पठन एवं मनन अवश्य करें। मार्गानुसारी आत्मा का पाँचवा प्रसिद्ध देशाचार पालन | esece 78 395050005:
SR No.032476
Book TitleMangal Mandir Kholo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevratnasagar
PublisherShrutgyan Prasaran Nidhi Trust
Publication Year
Total Pages174
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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