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________________ बालक बाहर निकल आया। उसके मुँह से अत्यन्त करुण धीमी धीमी चीख निकलती हुई सुनाई दे रही थी। अन्त में घर में बर्तन साफ करने वाली स्त्री ने अन्तिम साँस लेते हुए उस गर्भ से निकले माँस-पिण्ड़ को खिड़की में से बाहर गटर में फेंक दिया। कितनी भयावह है यह सत्य घटना। अपने स्वार्थवश अपने उदरस्थ बालक की क्रूरतापूर्वक हत्या कर देने वाले मनुष्य वर्तमान प्रशासन की दृष्टि में अपराधी नहीं माने जाते। उच्च कुल के कुलीन माने जाने वाले अनेकधनी परिवारों की ऐसी नीचता पूर्ण जीवन-कथाएँ है। पाप को पाप के रूप में स्वीकार करो दुःखदायक बात तो यह है कि गर्भपात, तलाक, परिवार नियोजन के साधनों के दुरुपयोग आदि को तो वर्तमान समाज ने पाप मानने से ही इनकार कर दिया है। एक व्यक्ति करता है अत: दूसरा करता है, तीसरा करता है, इस प्रकार सम्पूर्ण समाज में इस प्रकार के पापों का प्रचार होता रहा और परिणाम यह हुआ कि 'सब करते हैं, अत: यह पाप थोड़े ही कहलाायेगा?' यह वृत्ति व्यापक होने लगी। सचमुच यह एक हृदय विदारक घटना है। पाप का कदाचित् जीवन में से पूर्णत: त्याग नहीं किया जा सके तो भी पाप को पाप के रूप में स्वीकार तो करो। यदि पाप को पाप के रूप में स्वीकार करोगे तो उससे भय जीवित रहेगा और आज नहीं तो कल,जीवन में से पाप अवश्य बिदा लेगा। ___ परन्तु पाप को पाप के रूप में स्वीकार नहीं करना तो मिथ्यात्व है। इसके समान अन्य कोई पाप नहीं है। पापों को पाप के रूप में स्वीकार करना, पाप-त्याग के मार्ग का प्रथम सोपान है। सम्यग्दर्शन का बीज भी यही है। पापों को पाप के रूप में स्वीकार करने पर ही उनसे भय (भीरुता) उत्पन्न होता है। पाप से किस प्रकार का भय होना चाहिये, उसके लिये शास्त्रों में अनेक प्रसंग एवं दृष्टांत आते हैं। अत्यन्त पाप-भीरु सुलस सुलस कालसौकरिक नामक कसाई (वधिक) का पुत्र था। वह नित्य पाँच सौ भैंसे मारता था और इस घोर पाप के फलस्वरूप मरणोपरान्त सातवी नरक में गया। कुत्ते से भी अधिक दुःखद अपने पिता की मृत्यु को सुलस स्वयं देख चुका था। वह अत्यन्त पाप-भीरु सज्जन था। पूर्व जन्म के किसी प्रबल पापोदय से उसका जन्म कालसौकरिक जैसे कसाई के घर में हुआ था। ORGREERS TO SEEDSPICE
SR No.032476
Book TitleMangal Mandir Kholo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevratnasagar
PublisherShrutgyan Prasaran Nidhi Trust
Publication Year
Total Pages174
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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