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________________ 3. जिस व्यक्ति ने उसका उपकार किया हो उसे वह सदा स्मरण रखने वाला हो, कृतज्ञ 4.जो उत्तम सदाचारों का पालक हो। . 5. न्याय-नीति आदि सद्गुणों का धारक हो। 6.निन्दक न हो। 7.गुणवानों का प्रशंसक हो। 8. गुरुजनों के प्रति विनीत हो। 9.जो अहंकारी न हो। 10. दुःख के समय दीनता बताने वाला न हो। 11.हितकर, सीमित और प्रिय वाणी बोलने वाला हो। 12. कथनी और करनी समान हो। 13. आय के अनुसार व्यय करने वाला हो। 14. अत्यन्त नींद, विकथा एवं आलस का त्यागी हो। 15. शिष्ट पुरुषों के आचारों का सम्मान करने वाला हो। 16. उत्तम कार्यों का आदर करने वाला हो। 17. उचित बातों पर आचरण करने वाला हो। 18. प्राण जायें तो भी निन्दनीय कार्य कदापि नहीं करने वाला हो। 19.जो कार्य प्रारम्भकरले उसमें सिद्धि प्राप्त करके ही रुकने वाला हो। आर्यदेश की इस धरती पर अनेक प्रकार के शिष्ट पुरुष हो चुके हैं। उनकी प्रशंसा अवश्य करनी चाहिये। अरे, साहुकारों की बात जाने दो। इस आर्य देश के चोरों में भी स्वामि-भक्ति जैसे शिष्ट गुणों का वास देखने में आता था। चोर में भी स्वामि-भक्ति का शिष्ट गुण प्राचीन समय की बात है। एक चोर चोरी करने निकला। उसने एक धनवान सेठ के घर में प्रवेश किया। मध्य रात्रि का समय था। उस समय पर्याप्त अंधकार था। चोर दिन भर का भूखा था। उसने जिस खिड़की से घर में प्रवेश किया, वह खिड़की रसोईघर की थी। अत: वह सीधा रसोईघर में ही प्रविष्ट हुआ। कुछ भोजन प्राप्त हो उस आशा से उसने वहाँ GORKERS 38 98909090
SR No.032476
Book TitleMangal Mandir Kholo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevratnasagar
PublisherShrutgyan Prasaran Nidhi Trust
Publication Year
Total Pages174
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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