SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 40
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ MARTECH Brny SION) . द्वितीय गुण शिष्टाचार प्रशंसा शिष्ट जनों ने त्यागा जिसको, त्यागी बनूँ मैं उसका शिष्टाचार - प्रशंसकः। (शिष्टाचारों की प्रशंसा) शिष्ट अर्थात् सज्जन पुरुष शिष्ट अर्थात् अत्यन्त उत्तम मनुष्य। शिष्ट अर्थात् अपने पूर्वज शिष्ट पुरुषों की परम्परा का आदर सत्कार करना। ऐसे शिष्ट पुरुषों के आचारों की प्रशंसा करनी चाहिये। इससे जीवन में अनेक सद्गुणों का विकास होता है, जीवन गुणों से सुगन्ध मय उद्यान बनता है। क्या चोर भी शिष्ट हो सकता है? पिता भी शिष्ट कब माने जाते हैं? शिष्ट कौन होते हैं? शिष्ट पुरुषों के विशिष्ट गुण कौन से होते हैं? इस प्रकार के प्रश्नों के उचित उत्तर आपको इस गुण के पठन-पाठन एवं मनन से अवश्य प्राप्त मार्गानुसारी आत्मा का दूसरा गुण है - शिष्टाचारों की प्रशंसा।
SR No.032476
Book TitleMangal Mandir Kholo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevratnasagar
PublisherShrutgyan Prasaran Nidhi Trust
Publication Year
Total Pages174
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy