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________________ केवली बन गया, सोमिल श्वसुर द्वारा मस्तक पर अंगार रखे जाने पर भी अपने कर्मों का दोष देखने से और कर्मक्षय को त्वरित करने में श्वसुर को उपकारी मानने से सिर्फ एक दिन के चारित्र में ही गजसुकुमाल ने तो वीतराग पद प्राप्त कर लिया था। वैसे ही वचन समाधि द्वारा गौतमस्वामीने अपने अनेक शिष्यों को कैवल्य ज्ञान प्राप्त करवा दिया । ऐसे तो अनेक उदाहरण हैं जिससे सामान्य गुण बीज उपबृंहणा का सिंचन प्राप्त कर असामान्य गुणवृक्ष बन गये । ASPIRATION IS THE BEST WAY OF INSPIRIRATION OF MERITUAL OUTCOME, MORAL UPLIFTMENT AND MERRY ORIENTATION OF ANY ONE. EVEN ACKNOWLEDGEMENT OF SOME ONE'S GOOD WORK IS ALSO THE WAY OF APPRAIJAL, WHICH RESULTS INTO PREACH WITHOUT SPEECH F. R. CHARACTORISATION. अनुमोदना सिर्फ शाब्दिक नहीं; किन्तु मानसिक भी होती है। इसलिये वचन और मनगुप्ति भी जरूरी है । उत्तम द्रव्य उत्तमपात्र को बहोराने के बाद अननुमोदना द्वारा मम्मण शेठ कर्मो से बोझिल बना। सिर्फ अक्षत के मान जितना छोटा मत्स्य विराट मच्छ की आँखों के ऊर्ध्व स्थान पर बैठकर पाप कर्म की अनुमोदना से अल्पतम आयुकाल में कर्मों से भारी बन कर नरक का भागी बन जाता है। 'सर्व सत्त्वेषु सौहृदम्' का सिद्धांत जीवन के अंत तक जीवित रहे तभी प्रमोद भावना खिल सकती है । और तभी ही हर कोई जीव की हर प्रवृत्ति में कोई न कोई गुण विशेष का दर्शन हो सकता है । पर वैसी दृष्टि का विकास होना और जीव का ६७ गुण ठाने पर रहना वह तो योग मार्ग की साधना है, तब तक तो सिर्फ इतना ही जरूर है कि जीव जब तक वैसी उदात्त भावना का भागी नहीं बनता है तब तक कमसे कम पर निंदा के पापों से तो बचा ही रहे । क्यों कि... ___ "EVERY DARK CLOUD HAS SILVER BORDER" 300
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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