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________________ 406 बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 2 करवायी थी !!! गीताबहन और बचुभाई की तस्वीरों के लिए देखिए पेज नं. 24 के सामने / जीवदया के सर्व कार्यकर्ताओंकी हार्दिक अनुमोदना जैनशासन के रहस्यों के मर्मवेत्ता, दीर्घदृष्टा, आर्यसंस्कृतिप्रेमी, सूक्ष्म तत्त्वचिंतक, श्राद्धरत्न, स्व. पंडितवर्य श्री प्रभुदासभाई मणिलाल पारख, श्री गोरधनलालभाई छगनलाल, श्री मोहनलालभाई जुहारमल इत्यादि "विनियोग परिवार" [B-2/104 वैभव, जांबली गली, बोरीवली (वेस्ट) मुंबई- 400092. फोन : 807781] संस्था के तत्त्वावधान में कानून के द्वारा बूचड़खानों को बंद करवाने के लिए और पाठ्यपुस्तकों में से मांसाहार को प्रोत्साहित करनेवाले पाठों को हटाने के लिए एवं जीवरक्षा, संस्कृतिरक्षा और शासनरक्षा की अनेकविध सत्प्रवृत्तियाँ करते-करवाते रहते हैं। उसके लिए उपर्युक्त संस्था के उपक्रम से स्व. वेणीशंकरभाई मोरारजी वासु, स्व. पंडितवर्य श्री प्रभुदासभाई पारख आदि का सत्साहित्य प्रकाशित कर रहे हैं जो अत्यंत अनुमोदनीय है / शासनप्रेमी, संस्कृतिप्रेमी और जीवदयाप्रेमी आत्माओं के लिए यह साहित्य खास पढने योग्य है / ___उसी तरह श्री कुमारपालभाई वी. शाह (धोळका), श्री अतुलभाई वी. शाह (कांदीवली), श्री जयेशभाई भणसाली, श्री कल्पेशभाई शाह, श्री संजयभाई वोरा, श्री गिरीशभाई शाह इत्यादि सुप्रसिद्ध युवक एवं डो. श्री सुरेशभाई झवेरी, श्री हसमुखभाई शाह (मणिनगर) इत्यादि सुश्रावक भी पांजरापोलों को आत्मनिर्भर बनवाने के लिए और गैरकानूनी पशुवध को रोकने के लिए अनेकविध सत्प्रयास कर रहे हैं जो अत्यंत अनुमोदनीय है। मूलतः राजस्थान के एवं हालमें आदोनी (आंध्र) में रहते हुए श्री रूगनाथमलजी स्पचंदजी और उनके साथी मित्र पीला श्री रामकृष्ण (विशाखापट्टनंवाले) भी कई वर्षों से पशुवध को रोकने के लिए एवं माँसाहार छुडाने के लिए सफल प्रयास कर रहे हैं / / श्री हिंसा विरोध संघ, श्री अखिल भारत हिंसा निवारण संघ श्री अहिंसा महासंघ इत्यादि संस्थाएँ भी जीवदया के अनुमोदनीय सत्कार्य कर रही हैं /
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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