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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ | बेटी की शादी के प्रसंग को धर्म महोत्सव के । स्वपमें मनाने वाले नासिक के बोस वकील । नासिक (महाराष्ट्र) में वकील बोराभाई नामके एक दृढ धर्मप्रेमी सुश्रावक रहते थे । सद्गुरुओं द्वारा उनको रात्रिभोजन के पाप की भयंकरता समझने मिलीथी । __ अपनी सुपुत्री सुनंदा की शादी के प्रसंग की निमंत्रण पत्रिका को उन्होंने धर्म प्रसंग की पत्रिका के रूपमें परिवर्तित कर दी थी । पाँच पन्नों की उस आकर्षक पत्रिका में उन्होंने स्वयं पत्नी सहित ब्रह्मचर्य व्रत अंगीकार करेंगे, जिनभक्ति रूप पंचाग्निका महोत्सव का कार्यक्रम, कांतिभाई वकील, कारमलजी आदि दीक्षार्थीओं का महोसव के दौरान सन्मान.... इत्यादि के वर्णन से ४ पन्ने भर दिये थे । केवल अंतिम पेज पर संक्षेप में शादी की बात लिखी थी । नासिकमें वि.सं. २०३३ में मनाये हुए इस महोत्सवमें उन्होंने शादी के पंडाल को धर्म महोत्सव के पंडाल के रूपमें परिवर्तित कर दिया था। उन्होंने स्वयं चतुर्मुख प्रभुजी के समक्ष पत्नी के साथ संपूर्ण ब्रह्मचर्य व्रत का विधिपूर्वक स्वीकार किया । भोजन समारोह में विशिष्ट मेजिस्ट्रेट, बेरीस्टर आदि को निमंत्रित किया था मगर किसी को भी रात्रिभोजन नहीं करवाया था । उन्होंने अपने घरमें गृहजिनालय का भी आयोजन किया था, उसमें वे हररोज अत्यंत भावोल्लास पूर्वक पूजा भक्ति करते थे । श्री बोरा वकील आज विद्यमान नहीं हैं मगर उनके सुपुत्रादि परिवार जन आज भी नासिक में रहते हैं । बोरा वकील के दृढधर्मानुराग की भूरिशः हार्दिक अनुमोदना ।
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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