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________________ ३०२ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग २ उपालंभ नहीं दिया और किसीने शिकायत भी नहीं की । यह सब तुम्हारी जीवदया के शुभ भावों का अद्भुत प्रभाव है ।" खरगोश की रक्षा के लिए ढाई दिन तक अपना पैर अद्धर रखनेवाले हाथीने श्रेणिक राजा का सुपुत्र मेघकुमार बनकर भगवान श्री महावीर स्वामी के वरद हस्तसे संयम प्राप्त करने का महान पुण्य उपार्जन किया तो एक भैंस को बचाने के लिए इतनी मेहनत करनेवाले अशोकभाईने कितना जबरदस्त पुण्य उपार्जन किया होगा !!! धन्य है ऐसे जीवदयाप्रेमी श्रावकरत्न को ! जीवदयामंडल पूना के माध्यम से वे कई प्रकार के जीवदया के कार्यों में व्यस्त रहते हैं । १३४ - अशोकभाई भी शंखेश्वर तीर्थमें आयोजित अनुमोदना समारोह में पूना • से पधारे थे । उनकी तस्वीर के लिए देखिए पेज. नं. 15 और 19 के सामने । पता : अशोकभाई शाह (जीवदयावाले) ५९४, गणेश पेठ, पूना (महाराष्ट्र) पिन : ४११००२ ४७३३९६ (ओफिस) / ६५२७२२ (घर) फोन : ०२१२ - - निःशुल्क ज्ञानदान का सेवायज्ञ करते हुए आदर्श शिक्षक शुश्रावक श्री जसवंतभाई डी. दफ्तरी काल के प्रभाव से आज जब शिक्षण का क्षेत्र भी भ्रष्टाचार और अनीति से व्याप्त होने से बाकी नहीं बचा, स्कूल-कॉलेजों में प्रवेश पाने के लिए भी बड़ी राशि का डोनेशन कई जगह अनिवार्य हो गया है, तेजस्वी छात्रों के लिए भी महँगे ट्यूशन करीब अनिवार्य जैसे हो गये हैं, महँगी शिक्षण प्रणाली के कारण गरीब विद्यार्थीओं को तेजस्वी होने के बावजूद भी आगे बढ़ने के लिए कई बाधाएँ अवरोध रूप बनती हैं, शिक्षक वर्ग भी ट्यूशनों के द्वारा अधिकतर अर्थोपार्जन के प्रलोभन के कारण विद्यालयों में अध्यापन कोर्स पूरा करने के प्रति बेपरवाह बनता हुआ दृष्टिगोचर हो रहा है... तब ऐसे समय में आदर्श शिक्षक श्री जसवंतभाई डी. दफ्तरी का जीवन सचमुच अनुमोदनीय और अनुकरणीय है ।
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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