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________________ २८२ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ होगा । आज तो मुंबई में उनके घर में गृह जिनालय है । दोनों भाई बहन घंटों तक परमात्मा की अद्भुन भक्ति करते हैं । दोनों बच्चे जब ४ साल की उम्र के थे तब से उनके मातापिता ने उनको नवपदजी की आयंबिल की ओली की आराधना शुरू करवायी है। प्रति वर्ष दो बार ओली के दिनों में इतनी छोटी सी उम्र में दोनों भाई बहन प्रसन्नता से ९ - ९ दिन तक आयंबिल तप करते हैं । ओली के दिनों में अगर कभी बुखार भी आया हो या स्कूल में परीक्षा भी चालु हो तो भी वे आयंबिल की ओली करने का कभी भी चूकते नहीं हैं। दोनों भाई बहन अपनी माँ के साथ धार्मिक पाठशाला में हररोज जाते हैं । कुमारपाल को तो पाँच प्रतिक्रमण आदि के सूत्र भी कंठस्थ हो गये हैं। धन्य है इन बालकों को । धन्य है उनके माता-पिता आदि को। ११ साल की उम्र में श्री सिद्धचक्र महापूजन बिना किताब के आधार से पढाते हुए बाल विधिकार कयवत्रकुमार नरेन्द्रभाई नंदु बच्चों के जीवन को उन्नत बनाने के लिए माँ-बाप यदि सजग होते हैं तब बच्चे कैसे महान हो सकते हैं उसका प्रत्यक्ष दृष्टांत तेजस्वी बाल विधिकार श्री कयवनकुमार नरेन्द्रभाई नंदु हैं। उसके पिताश्री नरेन्द्रभाई नंदु मूलत: कच्छ-मांडवी तहसील के वांढ गाँव के हैं किन्तु हाल वे मुंबई जोगेश्वरी में रहते हैं । वे न केवल कच्छी समाज या अचलगच्छ के लिए किन्तु समस्त जैन शासन के लिए गौरवरूप एक प्रतिभावंत आदर्श विधिकार और उत्तम आराधक युवा श्रावकरत्न हैं। जब भी देखो तब उनके हाथ में नवकार महामंत्र की गणना चालु
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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