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________________ २७१ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ स्थानों से इन विधिकारों को आमंत्रण मिलता है और वे परिश्रम की परवाह किये बिना हर जगह जाते हैं। प्रारंभ में वे तीनों साथ में ही जाते थे, मगर बाद में एक साथ अनेक संघों से आमंत्रण मिलने पर सहयोगी विधिकारों की ३ टीम बनाकर वे तीनों स्वतंत्र रूप से भी विधिविधान कराने के लिए जाते हैं । कच्छी समाज एवं अचलगच्छ जैन संघ को ऐसे नि:स्पृह और शुद्ध विधिकारों के लिए गौरव है। तीनों के पास वक्तृत्व शक्ति भी होने से पूजन आदि के हार्द को भी अच्छी तरह से समझाते हैं। बंकीमचंद्रभाई एवं केशवजीभाई शंखेश्वर तीर्थं में आयोजित अनुमोदना समारोह में पधारे थे । उनकी तस्वीरों के लिए देखिए क्रमशः पेज नं. 19 एवं 21 के सामने । पता : (१) बंकीमचंद्रभाई केशवजी शाह १४९/१, जैन सोसायटी, शायन (वेस्ट) मुंबई ४०००२२, फोन : ४०९१२२२ पता : (२) नरेन्द्रभाई रामजी नंदु विभा सदन, सहकार रोड, जोगेश्वरी (वेस्ट) मुबई - ४००१०२ फोन : ६२०८५२४ (घर) ६२८१३८८ (दुकान) पता : (३) केशवजीभाई धारसी गड़ा ३/१७ श्री सदन सोसायटी, नवघर रोड़, मुलुन्ड, (पूर्व) मुंबई : ४०००८१ फोन : ५६८१६२६ घर इनके अलावा कच्छी युवा विधिकार चंद्रकांतभाई प्रेमजीभाई देढिया भी शुल्क लेकर विधिकार एवं संगीतकार के रूपमें विविध पूजनादि एवं भावना अच्छी तरह कराते हैं । पता : चंद्रकांतभाई प्रेमजी देढिया मु.पो. बिदडा, तह. मांडवी-कच्छ पिन : ३७०४३५
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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