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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ २५९ अमरचंदभाई के परिवारमें उनके सुपुत्र सुश्रावक श्री धरमचंदभाई नाहर आज विद्यामान हैं एवं सुपुत्रीने खतरगगच्छ में दीक्षा ली है, जो आज सा. श्री निर्मलाश्रीजी के नाम से सुंदर संयम की आराधना करती हुई वृद्धावस्था के कारण जयपुर में 'विचक्षण भवन' उपाश्रय में स्थिरवास हैं। दि. ५-३-१९९९ के दिन हम जयपुर गये थे। तब श्री धरमचंदभाई नाहर एवं उनके परिवार से भेंट एवं सत्संग हुआ था । पूरे परिवार में एवं अनेय भी अमरचंद के अनन्य भक्त श्री हीराचंदभाई पालेचा आदि के हृदय में श्रीअमरचंदभाई के प्रति रहा हुआ अपूर्व अहोभाव देखकर हम अत्यंत प्रभावित हुए थे। सा. श्री विचक्षणाश्रीजी द्वारा प्रदत्त आत्मज्ञानी श्रीमद् राजचंद्र के आध्यात्मिक साहित्य में श्री अमरचदभाई को अत्यंत अभिरुचि थी। उन्होंने केवलस्वद्रव्य से निर्मित किया हुआ श्रीमद् राजचंद्र साधना भवन आज भी उनके घर के पासमें ही विद्यमान है । श्री धरमचंदभाई के द्वारा संप्राप्त भी अमरचंदभाई की प्रतिकृति भी श्रीमद् राजचंद्र का ही मानो दूसरा रूप हो वैसी प्रतीत हो रही है। अमरचंदभाई के तप-त्याग एवं आत्मसाधना की हार्दिक अनुमोदना । पता : धरमचंदजी अमरचंदजी नाहर सौंथली वालोंका रास्ता, जौहरी बाजार, जयपुर (राज.) पिन : ३०२००३ फोन : ५६१४७६/५६०७३७/५६६३०६/५७१२७७ (निवास) ११७ आजीवन बालब्रह्मचारी कच्छी दंपती शादी करने के बावजूद भी आजीवन बालब्रह्मचारी रहे हुए कच्छभद्रावती के दंपती विजय सेठ-विजया सेठाणी का दृष्टांत शास्त्रों में सुप्रसिद्ध
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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