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________________ २३२ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ कई भाग्यशालीओं ने एक से अधिक बार श्री सिधाचलजी महातीर्थकी ९९ यात्रा की होगी, मगर वर्तमान काल में सब से अधिक ९९ यात्रा करनेवाले अगर कोई भाग्यशाली हैं तो वे हैं श्री रतिलालभाई जीवराजभाई सेठ । . हाल ७४ सालकी उम्रवाले श्री रतिलालभाई ने किसी विशिष्ट अंतः प्रेरणा से २६ साल की भर युवावस्थामें ही दुकान में से निवृत्ति स्वीकार ली और पिछले ४८ सालसे वे प्रति वर्ष शेषकाल में तीर्थाधिराज श्री सिद्धाचलजी महातीर्थ के उपर चढकर विधिपूर्वक ९९ यात्रा करते हैं। चातुर्मास में भी एकाशन आदि छ 'री' के नियमों का पालन करते हुए गिरिराज की तलहटी की विधिवत ९९ यात्रा करते हैं । इस तरह उन्होंने ४८ बार ९९ यात्राएँ श्री सिद्धगिरि के उपर चठकर एवं ४४ बार ९९ यात्राएँ गिरिराज की तलहटी की की हैं !!... वे पालिताना में ही रहते हैं । दो बार उपधान तप भी किया है । नवपदजी की आयंबिल ओली पिछले २२ सालसे प्रतिवर्ष २ बार अचूक करते हैं । अक्सर उनको स्वप्न में श्री आदिनाथ भगवान के दर्शन होते हैं । आज दिन तक उन्होंने छ 'री' पालक संघों द्वारा एवं बस आदि वाहन द्वारा कुल १२ बार विविध तीर्थों की यात्राएँ की हैं । उनकी आराधना देखकर अनेक गाँवों के संघोंने प्रसन्नता से उनका बहुमान किया है । पालिताना में "राजा" के उपनाम से उन्हें सभी पहचानते हैं । पालिताना में रथयात्रा या झुलुस में लाल रंग की धोती और लाल रंग के उत्तरासंग पहने हुए यदि कोई श्रावक को आप देखें नो मानना कि प्राय : रतिलालभाई होंगे । सं.२०३५ में, २०४५ में एवं २०४७ में हमारी निश्रामें कच्छी समाज की सामूहिक ९९ यात्राएँ हुई थीं तब रतिलालभाई का परिचय हुआ था । शंखेश्वर तीर्थ में आयोजित अनुमोदना समारोह में रतिलालभाई भी पधारे थे। उनकी तस्वीर इसी पुस्तक में पेज नं. 18 के सामने प्रकाशित की गयी है। रतिलालभाई की आराधना की हार्दिक अनुमोदना करते हुए आप भी अपने जीवन में कम से कम एक बार भी सिद्धाचलजी महातीर्थ
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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