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________________ २०२ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ 'कच्छमित्र' अखबार के भूतपूर्व व्यवस्थापक जमनादासभाई धनजी वोरा की सुपुत्री गुणवंती बहन उनकी धर्मपत्नी हैं । वे भी प्रतिदिन १० पक्की माला का जप करती हैं । ___'योग असंख्य जिनवर कह्या, नवपद मुख्य ते जाणो रे' इस शास्त्रानुसारी पंक्ति के अनुसार जिनेश्वर भगवंतोंने आत्मा की मुक्ति के लिए असंख्य उपाय बताये हैं। उनमें से अपनी रुचि के मुताबिक किसी एकाध योग की आराधना अपनी रुचि के अनुसार मुख्य रूपसे करके और अन्य योगों के प्रति सापेक्ष भाव रखकर अनंत आत्माएँ संसारसागर से पार हो चुकी हैं । उसी तरह प्रस्तुत दृष्टांतमें प्राणलालभाई मुख्य रूपसे नवकार महामंत्र के जपयोग की आराधना करते हैं और जिनपूजा, व्याख्यान श्रवण, प्रतिक्रमण, तपश्चर्या आदि अन्य योगों के प्रति भी उनका सापेक्षभाव दृष्टि गोचर होता है । - इस दृष्टांत से प्रेरणा लेकर सभी भावुकात्माएँ अचित्य चिंतामणि श्री नवकार महामंत्र की सम्यक् प्रकारसे आराधना करके निकट मोक्षगामी बनें यही मंगल भावना। शंखेश्वर तीर्थमें आयोजित अनुमोदना समारोहमें प्राणलालभाई उपस्थित थे। उनकी तस्वीर पेज नं. 18 के सामने प्रकाशित की गयी है। पता : प्राणलालभाई लवजी शाह नानी बजार, मु.पो. ध्रांगध्रा, जि. सुरेन्द्रनगर, (गुजरात) पिन : ३६३३१०
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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