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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ __ १९९ एकबार तो धीरजभाई से प्रत्यक्ष मिलकर उनके श्री मुख से ही नवकार महामंत्र के अनुभवों को सुनने जैसा है। सूचना : कृपया आध्यात्मिक हेतु के अलावा किसी भी प्रकारके सांसारिक प्रयोजन से प्रेरित होकर धीरजभाई जैसे साधकों को पत्र या फोन द्वारा परेशान न करें । पता : धीरजलालभाई खीमजी गंगर ११८/३४ २४, पंतनगर, धाटकोपर (पूर्व), मुंबई-४०००७५ शंखेश्वर तीर्थमें आयोजित अनुमोदना समारोहमें धीरजभाई भी पधारे थे। १ करोड नवकार जप के आराधक प्राणलालभाई लवजी शाह 568800000330008 सौराष्ट्र के ध्रांगध्रा शहरमें रहते हुए प्राणलालभाई (उ.व. ६८)ने B.Sc. तक व्यावहारिक अभ्यास किया है । पहले अनाजका होलसेल का धंधा एवं सूद पर पैसे देने का व्यवसाय करते थे । आज वे पिछले १५ सालसे निवृत हैं। अध्यात्मयोगी प.पू. आचार्य भगवंत श्री विजयकलापूर्ण सूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा से पिछले १० सालसे वे नवकार महामंत्र की आराधना में विशेष रूपसे संलग्न हुए हैं । उत्तरोत्तर जपमें अभिरूचि बढ़ती गयी और वे प्रतिदिन १३-१४ घंटों तक नवकार महामंत्र का जप करते रहते हैं । प्रातः ३ बजे से लेकर शामको ७ बजे तक आहार- निहार एवं जिनपूजा सिवाय के समयमें वे नवकार महामंत्रका जप करते रहते हैं।
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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