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________________ १९६ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ दृष्टांत सुनाया और म.सा. भी निसर्गोपचार के लिए संमत हो गये ... उपचार शुरू हुए । डॉ. अजय शाहने ६ महिनों की अवधि बतायी थी, मगर नवकारने ९ महिनों की समय मर्यादा बतायी और ठीक वैसे ही हुआ !... बाह्य-द्रव्य उपचारों के साथ साथ आभ्यंतर-भाव उपचार के रूप में मेरा नवकार जप चालु ही था । हररोज घरमें बैठकर अंगुलियों की रेखाओं पर अंगुठे के सहारे से १०८ नवकार का जप करके मेरे हाथ से श्वेत रंग के किरणों का सेल म.सा. के गले पर मैं देता रहा । ३ महिने व्यतीत हुए । डो. अजय शाह जो थोड़े दिनों के बाद म.सा. की जाँच करने के लिए आते थे वे बहुत दिनों से नहीं आ सके तब संघके अग्रणी श्रावकोंने डोक्टर को बुला लाने के लिए मुझे आग्रह पूर्वक कहा। मैं डोंबीवली गया । वहाँ डॉ. अजय शाह भयंकर ज्वरग्रस्त थे । मैंने घर आकर नवकार महामंत्र का स्मरण किया और भवरोग निवारक श्री महावीर स्वामी भगवंत का ध्यान किया । ध्यानावस्था में प्रभुके दर्शन हुए । मैंने कहा - "प्रभु ! आपके शिष्य बीमार हैं, आपतो परम धन्वन्तरी हैं तो कुछ औषध प्रदान करने की कृपा करें ।" .. करुणानिधान प्रभुजीने श्वेत कटोरीमें श्वेत रंगका मलम दिया । मैंने ध्यानावस्था में ही वह मलम म.सा. के गले पर भावसे लगाया और सचमुच ५० प्रतिशत पीड़ा कम हो गयी ! दूसरे दिन भी जैसे ही नवकार स्मरण पूर्वक प्रभुका ध्यान एवं . प्रार्थना करने पर प्रभुजीने श्वेत मलम दिया । मैंने कहा - "प्रभो ! आपही अपने वरद हस्तसे म.सा. को मलम लगा देने की कृपा करें, क्योंकि मैं तो इस विषयमें बिल्कुल अज्ञानी हूँ। और सचमुच प्रभुजीने स्व हस्तसे मलम लगाया वह मैंने स्पष्ट रूपसे देखा !... और थोड़ी ही देरमें गले की सूजन और पीड़ा अदृश्य हो गये। केन्सर की गाँठ छोटी होती गयी। ६ महिनों के बाद म.सा. ने चातुर्मास के लिए माटुंगा की और
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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