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________________ १८६ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ सचमुच, ऐसे धर्मनिष्ठ श्रावकरत्नोंसे संघ-शासन और समाज भी गौरवान्वित होते हैं । उनके जीवनमें से सभी यथाशक्ति प्रेरणा प्राप्त करें यही शुभाभिलाषा। पता : शामजीभाई जखुभाई गाला मु.पो. मोटा आसंबीआ, ता. मांडवी-कच्छ (गुजरात) पिन : ३७०४८५ | अनेक सद्गुणोंसे अलंकृत, उदार चरित, सुश्रावक श्री बाबुभाई (खीमजीभाई) मेघजी छेडा । नि:स्वार्थ सेवा जिनका जीवनमंत्र है, श्री जिनेश्वर भगवंत के प्रति जिनकी भक्ति अहोभाव प्रेरक है, जिनाज्ञा पालक साधु-साध्वीजी भगवंतों के प्रति जिनके हृदयमें अनन्य श्रद्धा है, नवकार महामंत्र जिनका श्वास-प्राण है, करोड़पति होते हुए भी विनम्रता, सरलता, सौजन्य, सादगी, सेवा, संयमप्रेम, सदा प्रसन्नता, उदारता आदि अनेकानेक सद्गुणोंने जिनके हृदयमें हमेशा के लिए स्थान जमाया है, लाखों लोगों के परम प्रीतिपात्र, साधुसंतों के कृपापात्र और सर्व विरति धर्म की प्राप्ति के लिए हमेशा उत्सुक ऐसे श्रावक श्रेष्ठ श्री बाबुभाई मेघजी छेड़ा के गुणों का वर्णन करने के लिए यह लेखिनी असमर्थ सी लगती है । मूलतः कच्छ-कांडागरा गाँवके निवासी किन्तु वर्तमानमें मुंबईचर्चगेटमें रहते हुए बाबुभाई छेड़ा (उ.व. ६२ आसपास) कोई आसन्न मोक्षगामी जीव होंगे ऐसा उनके परिचयमें आनेवाले किसी भी मनुष्य को लगता है। ___ हररोज सुबह ४ बजे उठकर २ घंटे तक नवकार महामंत्र का एकाग्र चित्तसे जप और अरिहंत परमात्मा का ध्यान करते हैं। उसके बाद
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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