SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 217
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४० — बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ ( प्रस्तावना एवं स्तवना । प्रस्तावक : गच्छाधिपति पू.आ.श्री जयघोषसूरीश्वरजी म.सा. के प्रशिष्य मुनि जयदर्शन वि. म. ‘णमो तिथ्थस्स' कहकर बादमें ही तीर्थंकर प्रभु द्वारा चतुर्विध संघ को उद्बोधन प्रवचन-देशना भले ही हमें आश्चर्य प्रदान करे, किन्तु यह तथ्य स्वयं परमात्मा भी जानते हैं कि, जगन्नाथ के संप्राप्त पद के पूर्व भवों में वे भी वैसे ही कोई संघ के सदस्य ही थे और उसी संघ के सान्निध्य से साधना की । शक्ति-प्रेरणादि संप्राप्त कर आज संघ-पति से भी सर्वश्रेष्ठ तीर्थपति की उपमा प्राप्त की है। इसलिये तो शास्त्र भी अपेक्षा से यह सत्य स्वीकार कर प्ररूपित करता है कि - - "गुरु पूजात् संघ पूजा गरीयसी" । यह बात हुई संघ के माहात्म्य की । किन्तु उस संघ के चार स्तंभ में दो PILLARS तो श्रावक-श्राविका हैं । तीर्थंकर श्री संघ की स्थापना करते जरूर हैं, किन्तु यही चतुर्विध संघ की सुद्रढ व्यवस्था एक सनातन व्यवस्था ही है, इसलिए तो नंदीसूत्र आगम में संघ को अनुपम उपमा दी गयी है । सर्वज्ञ सत्ता यह जानती है कि, मोक्ष रूपी चतुर्थ पुरुषार्थ मुनिवरों की दिनचर्या हो सकती है, पर वैसे श्रावक-श्राविका जिनके मन में निर्वेद संवेग है, संसार की असारता का गहरा ज्ञान है, परन्तु चारित्र प्राप्तिमें कर्मसत्ता रुकावट ला रही है वैसा आगारी भी अणगार की भावचर्या का प्रतिस्पर्धी बन जाता हो तो ज्ञानी की द्रष्टि में आश्चर्य नहीं । परमात्मा आदिनाथ की छह लारव पूर्व की उम्र हुई तब भरतचक्री का जन्म हुआ, और जब ७७ लारव पूर्व व्यतीत हुए तब प्रभु आदिनाथने ८३ लारव पूर्व की आयु में दीक्षा ली, तब तक भरतचक्री कुमारावस्था में रहे थे । उसके पश्चात् लाख पूर्व चक्री बने रहे । विरति के भाव किन्तु आचरण में शून्यता थी। फिर भी अनित्य भावना से ही गृहस्थावस्था में भी आदर्श भुवन में कैवल्य प्राप्त हुआ । गृहस्थावस्था की श्रावक भूमिका में ही पृथ्वीचन्द्र को सिंहासन पर, गुणसागर को तो विवाह के वक्त
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy