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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग १ - १३१ "जो भी होता है वह अच्छे के लिए ही होता है" इस कहावत के अनुसार नीताबहन को ससुराल से एक सप्ताह में ही वापिस लौटनेका निमित्त भी आत्मविकास के लिए ही हुआ न ! कहा भी गया है कि 'परिस्थिति भाग्याधीन है मगर धर्म पुरुषार्थ मनुष्य के लिए स्वाधीन हैं । सभी मनुष्य धर्म पुरुषार्थ द्वारा मानव भवको सफल बनायें यही शुभेच्छा । पता : नीताबहन चंदुभाई दरबार ( कच्छ-मउवाले) मुं.पो. गांगवा, जि. जामनगर (सौराष्ट्र ) ८३ हररोज जिनपूजा आदि करते हुए हांसबाईमा (खवास) कच्छ- मुन्द्रा तालुका के मोटी खाखर गाँव के निवासी हांसबाईमा (उ. व. ७२) का जन्म खवास नामकी जैनेतर जातिमें हुआ है, लेकिन उपाश्रय के पासमें ही घर होने से साध्वीजी भगवंतों के सत्संग से और श्राविकाओं के परिचय से पिछले २० सालसे जैन धर्मका रंग लगा है । वे प्रतिदिन नवकारसी, चौविहार, प्रतिक्रमण और जिनपूजा करते हैं। अक्सर आयंबिल, उपवास, अठ्ठम आदि तपश्चर्या करते हैं । जमींकंद आदि अभक्ष्योंका त्याग किया है । अष्टमी, पूर्णिमा, अमावास्या आदि पर्व तिथियों में पक्खी पालते हैं अर्थात् खेत बाड़ी आदिमें नहीं जाते हैं और पौषध भी करते हैं । चातुर्मास में ओसतन उपाश्रयमें ही साध्वीजी भगवंतों के पास सोते हैं और उन की वैयावच्च करते हैं. । हांसबाईमा की आराधना की हार्दिक अनुमोदना । शंखेश्वर तीर्थमें आयोजित अनुमोदना समारोहमें वे उपस्थित हुए थे। उनकी तस्वीर पेज नं. 17 के सामने प्रकाशित की गयी है । पता : हांसबाईमा खवास, जैन उपाश्रय के पासमें, मु. पो. मोटी खाखर, ता. मुन्द्रा कच्छ पिन : ३७०४३५
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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