SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 203
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२६ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - १ अठ्ठम तप अदि तपश्चर्या भी की है। पिछले कई वर्षों से ब्रह्मचर्य व्रतका पालन करते हैं । जिनवाणी श्रवणका योग होता है तब अचूक लाभ लेते हैं। इस तरह भावपूर्वक जैन धर्मकी आराधना करते हुए जीवराजभाई झालाकी आराधना की हार्दिक अनुमोदना । पता : जीवराजभाई नागरभाई झाला शक्ति निवास, वडोदरीया होस्पीटल के सामने, मु. पो. ता. बोटाद, जि. भावनगर (सौराष्ट्र) फोन : ४४७३८. ७७ प्रवीणभाई पटेल परिवारकी आराधना मूलतः कच्छ भडली गांव के निवासी लेकिन वर्तमानमें • अहमदाबादमें रहते हुए प्रवीणभाई पटेल की सुपुत्री पूर्वी (उ. व. २०) को १० वर्षकी बाल्य वय से सत्संग द्वारा जैन धर्म का रंग लगा है। वह हररोज जिनपूजा करती है। उसकी माता लीलाबहन, पिताश्री प्रवीणभाई, बड़े भाई प्रकाशभाई, बड़ी बहन वर्षा एवं स्वयं इस तरह घरके पाँचों सदस्य संवत्सरी के दिन चौविहार उपवास करते हैं । जैन कुलमें जन्म पाने के बावजूद भी जो संवत्सरी जैसे महान पर्व दिनों में भी रात्रिभोजन, कंदमूल और हरी वनस्पतिका त्याग करने के लिए पुरुषार्थ नहीं करते हैं ऐसे जीवों को इस दृष्टांतमें से खास प्रेरणा लेने योग्य है। पता : प्रवीणभाई लधाभाई पटेल समस्त ब्रह्मक्षत्रिय सोसायटी, गुजरात कोलेज के पीछे, अहमदाबाद - ३८०००६. (गुजरात)
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy