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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - १ ११५ उनके दोनों सुपुत्र राजेश और हेमंत हररोज जिनपूजा करते हैं । उन्होंने दो प्रतिक्रमण सूत्र तक धार्मिक अध्ययन किया है । अंबालालभाई बाटीया परिवार की आराधना की हार्दिक अनुमोदना। पता : अंबालभाई रावजीभाई बाटिया, मुं. पो. खांडीआ, तहसील संखेडा, जि. बडौदा (गुजरात) होटल के पानी का भी त्याग करते हुए ६०० हरिजनों का सत्संग मंडल गुजरातमें साबरकांठा जिले के चित्रोड़ा गांव में रहते हुए हरिजनकुलोत्पन्न लालजीभाई भगत (उ. व. ७०) बचपन से ही सत्संग से जैन धर्म का पालन करते हैं और सत्संग मंडल चलाते हैं, जिनमें ६०० सदस्य हैं। सत्संग मंडल के सभी सदस्यों ने बाल ब्रह्मचारी सुश्रावक श्री गोकुलभाई (मूलत: मांडल के निवासी किन्तु हाल अहमदाबादमें पालडी विस्तारमें रहते हुए) के सत्संग से प्रभावित होकर सप्त व्यसनोंका त्याग किया है, इतना ही नहीं किन्तु वे सभी होटलका पानी भी नहीं पीते । आत्मसिद्धि शास्त्र आदि आध्यात्मिक रचनाएँ सभी को कंठस्थ हैं, जिनका वे हररोज स्वाध्याय करते हैं । पूरे हरिजनवासमें जगह जगह पर आध्यात्मिक सुवाक्य लिखे हुए हैं। पता : लालजीभाई भगत एवं सत्संग मंडल मु. पो. चित्रोडा, तहसील ईडर, जि. साबरकांठा (गुजरात)
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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