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________________ ११० बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - १ प्रमार्जना, वासक्षेप पूजा, एक भगवान की अष्टप्रकारी पूजा, भावोल्लासपूर्वक करीब आधे घंटे तक चैत्यवंदन विधि आदि करते हैं । (२) प्रतिदिन पोरिसी का पच्चक्खाण (३) चातुर्मास में पोरिसी बियासन का पच्चक्खाण (४) पर्व तिथियों में एकासन (५) सचित्त पानीका त्याग (६) संवत्सरी के दिन पौषध के साथ चौविहार उपवास (७) पर्युषण के आठों दिन प्रतिक्रमण (८) पर्व तिथियों में एवं चातुर्मास के ४ महिने निरंतर ब्रह्मचर्य का पालन (९) १० तिथि हरी सब्जीका त्याग (१०) प्रति माह चारुप तीर्थ की यात्रा,, इत्यादि । दो साल पूर्व उनकी धर्मपत्नी का स्वर्गवास हो गया तब से वे संथारे के ऊपर ही शयन करते हैं । जीवन में वैराग्य भाव एवं धर्म के प्रति रुचि विशेष रूपसे बढती जा रही है । अनेक प्रकार की सांसारिक उलझनों के बावजूद भी देव-गुरु-धर्म के प्रति श्रद्धा भक्ति समर्पण में जरा भी कमी नहीं हुई। गोविंदजीभाई की आराधना की हार्दिक अनुमोदना । पता : गोविंदजीभाई केशवलाल मोदी, केशव भवन, जोगीवाड़ा, मु.पो. पाटण, जि. महेसाणा (उत्तर गुजरात) पिन : ३८४२६५ वैष्णव कुलोत्पन्न, निवृन प्रिन्सीपाल श्री जयेन्द्रभाई |६४ प्राणजीवनदास शाह की जैन धर्मकी अनुमोदनीय आराधना एवं अनुकरणीय स्वावलंबिता मर्यादी वैष्णवकुलोत्पन्न श्रीजयेन्द्रभाई प्राणजीवनदास शाह (उ.व.५६) का जन्म गुजरात के खंभात शहरमें हुआ था । हाल में वे बड़ौदा (वड़ोदरा) में रहते हैं । विविध युनिवर्सिटियों की M. A., Ph.d., M. Ed., Poly-Tech. इत्यादि उपाधियों को धारण करनेवाले, एवं उद्योग अमलदार, जिला खादी
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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