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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - १ पता : कृष्ण मनुस्वामी सेटीयार अंकुर ओ ४०४/४०५ तुरल पाकाडी रोड, लीबर्टी गार्डन, हाउसींग सोसायटी के सामने, मलाड (पश्चिम) मुंबई - ४०००६४. फोन : ८८९८८४ (घर), ८८९८२६२ (ओफिस) वर्षीतप, सिद्धितप, सोलहभत्ता आदि तप करनेवाले साहेबसिंह लखुभा जाड़ेजा (क्षत्रिय) मूलतः सौराष्ट्र के ध्राफा गाँवके निवासी लेकिन वर्तमानमें धोराजी (सौराष्ट्र) में रहते हुए साहेबसिंह लखुभा जाडेजा (क्षत्रिय) को धोराजीमें चातुर्मास हेतु पधारते हुए लींबडी संप्रदाय के स्थानकवासी महासतियों के व्याख्यान श्रवणसे जैन धर्मका रंग लगा । सत्संगप्रेमी साहेबसिंहजी व्याख्यान श्रवणका मौका कभी चूकते नहीं है । सत्संग के परिणाम स्वरूप उन्होंने आज तक एकांतर उपवाससे वर्षीतप, आयंबिलसे वर्षीतप, सिद्धितप, अछाई तप इत्यादि अनेक तपश्चर्याएँ की हैं । ३ साल पूर्व बा. ब्र. राजेशमुनिजी की निश्रामें राजकोट भक्तिनगरमें रहकर १६ उपवास (सोलहभत्ता) करके अपनी आत्माको धन्य बनाया । पता : साहेब सिंहजी लखुभा जाड़ेजा, जैनस्थानक, - मु.पो. धोराजी, जि. राजकोट (सौराष्ट्र). १२ सालसे प्रत्येक पर्युषणमें अठ्ठाई तप करते हुए सुरेशभाई अंबालाल पारेख (नाई) - गुजरातमें पेटलाद तहसील के नार गाँवमें वि. सं. २०४२ में - यग्यदेशनादक्ष प. पू. आ. भ. श्री विजय हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. के शिष्य पू. मुनिराज श्री निपुणचन्द्रविजयजी म. सा. (हाल पंन्यास) का
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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