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________________ ८ . बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - १ भावपूर्वक करते हैं । कई बार साधु भगवंतों के साथ पैदल चलकर वे आसपास के गाँव तक जाते हैं । सत्संग के परिणामसे उन्होंने सामायिक विधिके सूत्र कंठस्थ कर लिये हैं और सामायिक लेकर धार्मिक अध्ययन करते हैं । चातुर्मास के दौरान अपने पूर्व परिचित मुनिराज जहाँ भी होते हैं वहाँ वंदन के लिए जाते हैं और उनकी निश्रामें कुछ दिन तक ठहरकर उपवास, आयंबिल आदि तपश्चर्या भी करते हैं । विजयभाई की साधुसेवा आदि आराधनाकी हार्दिक अनुमोदना । पता : विजयभोई दरबार, मु.पो. पीपली, ता. धंधुका, जि. अहमदाबाद (गुजरात) ३८ साधु सेवाकारी श्री घनश्यामसिंह डॉक्टर खंभात से पालितानाके विहार मार्गमें आते हुए हेबतपुर गाँवमें एक भी जैन घर न होते हुए भी वहाँ के निवासी घनश्यामसिंह डॉक्टर (उ. व. ५४) हरेक साधु-साध्वीजी भगवंतों की सुंदर सेवा करते हैं । इस रास्ते से गुजरनेवाले छरी पालक यात्रा संघ के लिए भी वे आगे पीछे के विश्राम स्थान की व्यवस्था करनेमें अत्यंत अनुमोदनीय सहयोग देते हैं। उनके ऐसे सद्कार्यों की हार्दिक अनुमोदना । पता : डॉक्टर श्री घनश्यामसिंह, मु.पो. हेबतपुर, ता. धंधुका, जि. अहमदाबाद (गुजरात) उपर्युक्त तीन दृष्टांतों के मुख्य पात्र (१) सुखाभाई पटेल (२) विजयभाई दरबार और (३) घनश्यामसिंह डॉक्टर का श्री धोलेरा श्वे. मू. पू. जैन संघने जाहिरमें बहुमान किया था, इसके लिए श्री धोलेरा संघको भी हार्दिक धन्यवाद । अन्य संघ भी इसमें से प्रेरणा लेंगे और ऐसे सत्कार्य करनेवाले
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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