SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 152
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - १ __ आजीवन इस नियमका पालन करनेवाले उस धोबी भाईके सुपुत्र रामजीभाई और उनके भी पुत्र आज भी इस नियमका चुस्त स्पसे पालन कर रहे हैं। __(पर्युषण महापर्व के ८ दिनोंमें से एकाध दिन भी आरंभ - समारंभ युक्त व्यवसायको बंध नहीं रख सकनेवाले आत्माओं को इस धोबी परिवारसे खास प्रेरणा ग्रहण करने योग्य है) रामजीभाई घरमें आज भी कोई जमीकंद और अन्य बड़े अभक्ष्यों का भक्षण नहीं करते हैं। - जैन धर्म के प्रति उनके हृदयमें अत्यंत सद्भाव है । किसी भी जैन मुनिवरका व्याख्यान श्रवण का मौका मिलता है तब वे अचूक सुनते हैं। शंखेश्वरतीर्थमें आयोजित अनुमोदना समारोहमें उपस्थित रहने के लिए उनको जब निमंत्रण पत्रिका मिली तब वे अत्यंत गद्गदित हो गये थे । अनुमोदना समारोहमें अपने हृदयोद्गार भावविभोर शब्दों में अभिव्यक्त करते हुए उन्होंने अपने वक्तव्यमें कहा था कि 'लोगोंके मैले कपड़े धोनेवाले हम जैसे मनुष्यों का बहुमान करवाने के लिए आपने ऐसे महान तीर्थकी यात्रा का हमें जो मौका दिया है उसके लिए कृतज्ञता भाव व्यक्त करने के लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं।' रामजीभाई की तस्वीर पेज नं. 16 के सामने प्रकाशित की गयी है। (इसी कोंठ गाँवमें खेंगारभाई दरबारने भी प.पू. आ. भ. श्री विजयमेरुप्रभसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणासे कई व्रत-नियमों का स्वीकार किया था । पता : धोबी श्री रामजीभाई मु.पो. कोंठ, ता. धोलका, जि. अहमदाबाद. (गुजरात) . जि
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy