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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - १ की यात्रा वे अचूक करते हैं । उस दिन जब तक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवंत का दर्शन नहीं होता तब तक कुछ भी खाते पीते नहीं हैं । उन्होंने श्री शत्रुजय महातीर्थ की यात्रा भी एक बार की है । हररोज शामको भी जोगीवाड़ेमें जाकर प्रभुदर्शन अचूक करते हैं । धर्म के विषयमें उनकी समझ बिलकुल स्पष्ट है । विनम्रता आदि सद्गुणों को उन्होंने अच्छी तरह से आत्मसात् किया है। केवल पिछले ५ साल से जैन धर्म को प्राप्त करनेवाले रसिकभाई ने अपने उपकारी सा. श्री सुलसाश्रीजी म.सा. आदि ठाणाओं का चातुर्मास परिवर्तन अपने मकानमें करवा कर लाभ लिया था । ऐसे महान त्यागी तपस्वी साध्वीजी भगवंत के चातुर्मास परिवर्तन का लाभ लेने के लिए पाटण के कई भक्त श्रावकों की . विज्ञप्ति होते हुए भी उपरोक्त मोची परिवार को चातुर्मास परिवर्तन से लाभान्वित करके एक सुंदर आदर्श समाज के समक्ष साध्वीजीने प्रस्थापित किया है । धन्य है ऐसे साध्वीजी भगवंतों को ! धन्य है जन्म से अजैन होते हुए भी आचारसे विशिष्ट जैन ऐसे रसिकभाई जैसी आत्माओं को ! रसिकभाई के बड़ेभाई किशोरभाई भी हररोज जिनपूजा करते हैं । किशोरभाई का सुपुत्र सतीशकुमार भी जब कोलेजमें छुट्टी होती है तब अवश्य जिनपूजा करता है। उसने अाई तप भी किया है । शंखेश्वर तीर्थ में आयोजित अनुमोदना समारोह में रसिकभाई भी पधारे थे । उनकी तस्वीर पेज नंबर 16 के सामने प्रकाशित की गयी है। ऐसे अनमोल दृष्टांतोंमें से हम कुछ प्रेरणा ग्रहण करेंगे ? पता : रसिकभाई विठ्ठलदास जनसारी वंदना फूटवेर्स, झवेरी बाजार, मु.पो. पाटण, जि. महेसाणा (उ. गुजरात) पिन : ३८४२६५ फोन : २०५७९ पी. पी. जयेन्द्रभाई पटेल
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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