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________________ या पान तक लगातार एकाशन तय करने के बाद कुटुंशीजनों बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - १ डेढ साल तक लगातार एकाशन तप करने के बाद कुटुंबीजनों के आग्रह से पिछले १० सालसे बियासन तप करते हैं । केवल १३ महिनों में तीनों उपधान तपकी आराधना की है। चातुर्मास में हरी वनस्पति का त्याग करते हैं । सालमें दो बार केश लुंचन करवाते हैं। कई वर्षों से पति - पत्नी दोनोंने ब्रह्मचर्य व्रत विधिपूर्वक अंगीकार किया है । मुनि की तरह संथारे के ऊपर ही शयन करते हैं । २५ बार छ:'री' पालक संघों में शामिल होकर अनेक तीर्थों की यात्राएँ की हैं। सुरेन्द्रनगर जाने का अवसर हो तब दानुभाई को सचमुच मिलने जैसा है । पता : दानुभाई रवाभाई गोहील भगीरथ टेलीकोम, वासुपूज्य स्वामी बड़े जिनालय के पास, मु.पो. जि. सुरेन्द्रनगर (गुजरात) पिन : ३६३००१. सार्मिक भक्ति के लिए बेजोड़ दृष्टांत त्य लक्ष्मणभाई (नाई) जोधपुर (राजस्थान) में पिछले कई वर्षों से, अहोरात्रका अधिकांश समय उपाश्रयमें ही व्यतीत करनेवाले लक्ष्मणभाई ( उ. व.६२) जाति से नाई होने के कारण व्यवसाय के रूपमें लोगोंके बाल काटते काटते सत्संग के प्रभावसे जैनधर्म में ऐसे ओतप्रोत हो गये हैं कि अब तो वे दिन-रात विविध आराधनाओं के द्वारा अपने कर्मोंको काटने का ही व्यवसाय मुख्य रूपसे कर रहे हैं ! प.पू.आ.भ. श्रीमद्विजय रामचंद्रसूरीश्वरजी म.सा., प.पू.आ. भ. श्रीमद् विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म.सा. एवं प. पू. पंन्यास प्रवर श्री
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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