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________________ • जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ? 44 रहने के बावजूद अपने को नमस्कार मंत्र मिला और सुदेव, सुगुरु, सुधर्म की गोद में बिना शर्त शरणागति प्राप्त करने की विनयशीलता पाई। इससे बढ़कर दूसरा कौन सा चमत्कार हो सकता है? जगत और जनता में भले ही 'चमत्कार वहां नमस्कार" की महिमा होती है, किंतु जैनशासन एवं जैनसंघ 'नमस्कार ही चमत्कार" की श्रद्धा का ही गुंजन होना चाहिये। ऐसा गुंजन जिसके वांचन से अधिक दृढ़ बने, ऐसे अर्वाचीन प्रसंगों के लेखन के पीछे यही भावना है कि सभी नमस्कार को चमत्कार मानने की श्रद्धा में ज्यादा मजबूत और स्थिर रहने का बल प्राप्त करें। 44 - आ. विजयपूर्णचन्द्रसूरि जहाँ औषधियाँ हारती हैं, वहाँ आस्था विजयी बनती है। इस दुनिया में इलाज या औषधि ही बड़ी वस्तु नहीं है। यदि महान वस्तु कोई है तो वह है, आस्था ! जिसके अंतर में आस्था होती है, उसके लिए पानी भी अमृत समान है, और आस्था रहित आदमी के लिए अमृत पानी जितना भी कार्य नहीं कर सकता है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि औषधियों में परम औषधी आस्था है। वैद्यों में परमवैद्यराज विश्वास है और दवाइयों में रामबाण दवा श्रद्धा है। जिसके पास इन तीनों का खजाना है, वे केन्सर जैसी व्याधि में भी ठीक होकर नीरोगी बन जाते हैं। इन तीनों का जिसके पास अभाव है, उसे सर्दी जैसा सामान्य रोग भी श्मशान पहुंचाने के लिए पर्याप्त है। ऐसी श्रद्धा एवं आस्था यदि यंत्र-मंत्र एवं तंत्र के अधिराज समान नवकार के प्रति हो, तो ऐसे रोगी का देहरोग के साथ भव रोग भी ठीक होकर बेड़ा पार हुए बिना रहता नहीं है। यहां प्रस्तुत एक सत्य घटना पढ़ने के बाद ऊपर कहे हुए शब्द हृदय में गुंजे बिना नहीं रहेंगे। साथ में यह भी होगा कि महामंत्र के पास भौतिक दुःख दूर करने की भीख मांगना, प्रसन्न हुए चक्रवर्ती के पास झूठे 66
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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