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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? सही प्रकार से नवकार की आराधना की जाये तो उसका परिणाम अवश्यमेव ही अनुभव में आता है।) उस भाई ने कहा, "मुझे लगता है कि मैंने नवकार आराधना की प्रकाशित-अप्रकाशित सभी ही विधियां प्रयोग कर ली हैं। इसलिये आप जो विधि बताओगे, वह भी मैंने प्रयोग कर ली ही होगी। इसलिये व्यर्थ आग्रह मत करो। कुछ होने का नहीं है। ___मैंने कहा, "मुझे विश्वास है कि जो विधि बताऊंगा, वह विधि आपने प्रयोग में नहीं ही ली होगी। इस विधि को यदि आप करोगे तो आपको नवकार की आराधना का परिणाम अवश्य ही मिलेगा। परन्तु छह महीने तक नियमित रूप से इस विधि को करने का आप यदि मुझे वचन दोगे, तो ही यह विधि मैं आपको बता सकुंगा।" । मेरी ऐसी तसल्लीपूर्वक बात सुनकर उस भाई ने सोचा कि, '36 वर्ष नवकार गिने तो चलो 6 महीने अभी और गिन लुं। और उन्होंने कहा "भले, आप कहोगे उस प्रकार से छः महीने में और भी नवकार की आराधना करने के लिये तैयार हूँ।" ___ मैंने कहा "ऐसे तो यह विधि सरल है, फिर भी मुझे शंका है कि विधि सुनने के बाद आप इस विधि को करने को शायद तैयार नहीं होंगे।" उस भाई ने कहा "मैं विश्वास दिलाता हूँ कि, आप जिस प्रकार से विधि बताओगे उस प्रकार से मैं छः महीने तक करुंगा ही!" ...और अन्त मे मैंने विधि बताते हुए कहा "देखो, विधि दो प्रकार की होती है, एक बाह्य विधि, दूसरी आभ्यंतर विधि। निश्चित दिशा, स्थान, आसन, माला, मुद्रा, धूप,दीप वगैरह बाह्य विधि में आते हैं, जबकि समस्त जीव-राशी के प्रति मैत्री-प्रमोद, माध्यस्थ्य-करुणा आदि भावनाओं से भावित अंतःकरण, वगैरह आभ्यंतर विधि में आता हैं। आपने आज तक बाहय विधियाँ तो अनेक प्रकार की आजमायी हैं, परन्तु उसके साथ आभ्यंतर विधि का तालमेल बिठाना ही चाहिये। उसमें त्रुटि रहने से 58
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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