SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 59
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? बनकर ज्यादा प्रतिष्ठा, कमाई और यशकीर्ति प्राप्त कर ले, किंतु इंग्लैण्ड जैसे संस्कार विहीन म्लेच्छ (अनार्य) प्रदेश में रहने के परिणाम से मेरी संतान संस्कार संपत्ति से दरिद्र बन जाएगी, उसका क्या!!! बहुत महिनों तक धर्म संस्कार युक्त हदय वाली माता ने पुत्र की भौतिक आबादी, संपत्ति मान-प्रतिष्ठा को धार्मिक संस्कारों की सुरक्षा हेतु उपेक्षित करने जितना कठोर हदय रखा। मुझे भी भावीयोग से मेरे वैसे पाप का उदय होने वाला था इसलिए ऐसा कदाग्रह उत्पन्न हुआ कि परमोपकारी माँ के हदय के दर्द को पहचान न सका। मेरी पत्नी मंजुला ने साथ चलने की इच्छा जताई। मोहान्धता के कारण मुझे तो यह अच्छा लगा कि पत्नी साथ में होगी तो विदेश में मौज-शौक अच्छी तरह से होंगे। मेरी जीवनशुद्धि का ध्यान रखने वाली सुश्राविका का हदय धारण करने वाली पत्नी ने सहायक बनकर मेरी माँ को समझाया कि "मैं आपके संतान की जीवनशुद्धि की प्रहरेदारी करूंगी। मैं श्राविका हूँ। मेरे भरोसे आप हंसते मुख से विदाई दीजिए!!!!" अंत में बड़ी मुश्किल से माँ ने सम्मति दी। ई.स. 1957 में मैं पत्नी एवं एक पुत्री के साथ ज्यादा अभ्यासार्थ इंग्लैण्ड की ओर रवाना हुआ। मैंने इंग्लैण्ड पहुँचने के बाद पुण्य योग से सभी सुविधा मिलने से ई.स. 1958 में M.R.C.P. लंदन की सबसे उच्च मानी जाने वाली डिग्री प्राप्त की। डिग्री मिलने के साथ ही मेरी इंग्लैण्ड के बड़े अस्पताल में सम्मान के साथ सर्वोच्च स्थान पर जल्दी नियुक्ति हो गई। मुझे स्टेण्डर्ड अनुसार सुंदर फ्लैट, विशाल केडेलिक गाड़ी, दुनिया भर के अमन-चमन और भोग सुखों की भरपूर सामग्री, भोग-विलास के अति आधुनिक साधनों की सुलभता आदि पापानुबंधी पुण्य के उदय से सामग्री मिली। मुझे घर में श्राविका रोज बहुत कहती, समझाती! 'हम कौन हैं? . 32
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy