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________________ जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? भामंडल की रचना करते हैं, जिससे भगवान का तेज उसमें संक्रमित हो जाता है और लोग भगवान के आराम से दर्शन कर सकते हैं। 7. दुंदुभि भगवान के आगे आकाश में आवाज करती हुई दुंदुभि चारों ओर लोगों को यह सूचन करती है कि हे भव्यों ! मोक्ष नगर के सार्थवाह समान भगवन्त पधारे हैं, उनकी शरण में आप आ जाईये। 8. छत्र देवों द्वारा मोतियों से सुशोभित तीन छत्र की रचना की जाती है। भगवान जब देशना देते हैं तब पूर्व दिशा में भगवान के ऊपर एवं अन्य तीन दिशाओं में भगवान की प्रति तियों पर तीन-तीन छत्र होते हैं। समवसरण नहीं हो तब भी आठ प्रतिहार्य2 अरिहंत प्रभु के साथ ही होते हैं। - प्रभाव सूचक लक्षण वाले, उष्ट, विशिष्ट चमत्कार वाले चार अतिशय इस प्रकार हैं। 1. पूजातिशय भगवान सर्वपूज्य होते हैं । इन्द्र, देव, चक्रवर्ती भगवान जब विहार करते हैं तब देवता उनके बनाते हैं। चामर ढालते हैं। यह सब भगवान आदि उनकी पूजा करते हैं। पैरों के नीचे 9 स्वर्ण कमल के पूजातिशय से होता है। 2. वचनातिशय अरिहंत भगवान अर्धमागधी भाषा में बोलते हैं, किन्तु जानवर, मनुष्य आदि सभी प्राणी अपनी-अपनी भाषा में समझ लेते हैं, क्योंकि उनकी वाणी पैंतीस गुणों वाली होती है। इस अतिशय से लोकालोक का स्वरूप सभी 3. ज्ञानातिशय प्रकार से जानते हैं। - 4. अपायापगमातिशय यह अतिशय उपद्रव का नाश करने वाला है। इससे स्वयं के एवं दूसरों के, दोनों प्रकार के उपद्रव नष्ट होते हैं। 1 अरिहंत शब्द की परिभाषा श्री भद्रबाहुस्वामी ने आवश्यक नियुक्ति में इस प्रकार कही है। 394
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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