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________________ 383388 -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? श्री पंच परमेष्ठी के 108 गुण । अरिहंत भगवान ने चार कर्मों का क्षय किया है, फिर भी निकट उपकारी होने के कारण आठ कर्मों का क्षय करने वाले सिद्ध भगवान से पहले उनको नमस्कार किया गया है। अरिहंत : राग-द्वेष रूपी कर्म शत्रुओं को जीतकर, चार घाती कर्मों का क्षय करके, केवल ज्ञान प्राप्त कर, भव्य जीवों को बोध देने हेतु धर्म तीर्थ की स्थापना करने वाले तीर्थकर- अरिहंत कहलाते हैं। उनके आठ प्रातिहार्य एवं चार अतिशय मिलकर 12 गुण होते हैं। आठ प्रतिहार्य 1. अशोक वृक्ष - जहां भगवान के समवसरण की रचना होती है, वहां भगवान से बारह गुणी ऊँचाई एवं एक योजन की परिधि वाले "अशोकवृक्ष' की देवता रचना करते हैं। इसके नीचे बैठकर भगवान देशना देते हैं। ___2. सुरपुष्पवृष्टि - डंठल नीचे हो और पंखुड़ियां ऊपर हों, इस तरह पांच रंगों के पुष्पों की वृष्टि घुटनों तक समवसरण के एक योजन के क्षेत्र में देव करते हैं। जिससे चारों ओर का वातावरण महक उठता है। भगवान के प्रभाव से उन फूलों को जरा भी पीड़ा नहीं होती है। 3. दिव्य ध्वनि - भगवान की मालकोष राग वाली वाणी में देवता वीणा, बंसरी आदि वाद्ययंत्रों से सूर मिलाते हैं। 4. चामर - रत्नजड़ित सुवर्ण दण्ड वाले श्वेत चामर भगवान के दोनों ओर देवता ढालते हैं। 5. आसन - रत्नजड़ित सुर्वणमय सिंहासन देवता भगवान के बैठने के लिए समवसरण में बनाते हैं। 6. भामंडल - भगवान का तेज इतना होता है कि देखने वाले की आंखें चकाचौंध हो जाती हैं। इसलिए देवता भगवान के मस्तक के पीछे 393
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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