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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - नमस्कार का स्मरण करना चाहिये। 15. जो कोई परमतत्त्व है और कोई परम पद का कारण है, उसमें भी वह नवकार ही परम योगियों द्वारा चिंतन किया जाता है। 16. योगी पुरुष इसी ही नवकार मंत्र का सम्यक् प्रकार से आराधना कर परम लक्ष्मी को प्राप्त कर तीन लोक में पूजे जाते हैं। 17. हजारों पाप करने वाले एवं सैंकड़ों जन्तुओं का नाश करने वाले तिर्यच भी इस मंत्र की अच्छी तरह से आराधना कर स्वर्ग में गये हैं। 18. अहो! इस जगत में पंच नमस्कार कोई विशिष्ट उदार है कि जो स्वयं आठ ही सम्पदा को धारण करता है, फिर भी सत्पुरुषों को अनंत संपदा देता है। 19. नवकार! तू मेरी उ.ष्ट माता है, पिता है, नेता है, देव है, सत्त्व है, तत्त्व है, मति है, और गति है। ['श्री लघु नमस्कार फल' स्तोत्र का अर्थ ) 1-2 घनघाती कर्मों से मुक्त अरिहंतों, सभी सिद्धों, प्रवर आचार्यों, उपाध्यायों तथा सभी साधुओं- श्रेष्ठ लक्षण को धारण करने वाले इन पांचों ही परमेष्ठियों को किया गया नमस्कार संसार में भटकते भव्य जीवों के लिए परम शरण रूप है। 3. ऊर्ध्वलोक, अधोलोक एवं मध्य लोक में श्री जिन नवकार प्रधान है तथा समस्त भुवन में नरसुख , सुरसुख एवं शिवसुख का परम कारण है। 4. उस कारण सोते, उठते इस नवकार को सतत गिनना चाहिये। भव्य लोगों को निश्चित रूप से वह दुःख दूर करने वाला एवं सुख प्राप्त कराने वाला है। 5. जन्म के समय नवकार गिना जाये तो रिद्धि की प्राप्ति होती है और अवसान के समय नवकार गिना जाये तो मृत्यु के बाद अच्छी गति 386
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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