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________________ - जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ? 5. श्री नमस्कार महामंत्र दुःख का हरण करता है, सुख देता है, यश को उत्पन्न करता है, भव समुद्र का शोषण करता है और यह नवकार इस लोक एवं परलोक के सभी सुखों का मूल है। 6. श्री नमस्कार महामंत्र का एक अक्षर सात सागरोपम के पाप नाश करता है। श्री नवकार मंत्र के एक पद से 50 सागरोपम के पाप नष्ट होते हैं और समग्र नवकार से 500 सागरोपम के पाप नष्ट होते हैं। 7. जो एक लाख नवकार विधिपूर्वक गिनता है, वह तीर्थंकर नामकर्म का उपार्जन करता है, उसमें जरा भी संदेह नहीं है। प्रकृष्ट भाव से किया गया परमेष्ठियों को एक नमस्कार, जैसे पवन जल का शोषण करता है, वैसे सकल क्लेश जाल को छेद डालता है। अंत समय में जिसके 10 प्राण पंच नमस्कार के साथ जाते हैं वह मोक्ष नहीं प्राप्त करे तो भी वैमानिक देव अवश्य बनता है। 10. यह मान लो कि जो मोक्ष में गये हैं और जो कर्म मल से रहित होकर मोक्ष में जायेंगे, वह सभी नवकार का ही प्रभाव है। 8. 9. " 11. परम मंत्र रूप यह नवकार मंगल का घर है, वह संसार का विलय करने वाला है, सकल संघ को सुख प्रदान करने वाला है। इसके चिंतन मात्र से सुख की प्राप्ति होती है। 12. प्रणव अर्थात ॐकार, माया अर्थात् हींकार और अर्हं जो प्रभावशाली बीज मंत्र हैं, उन सभी का मूल एक प्रवर नवकार मंत्र है। अर्थात ॐ ह्रीं अर्ह वगैरह बीज मंत्रों के मूल में नवकार मंत्र रहा हुआ है। 13. चित्त से चिन्तन किया हुआ, वचन से प्रार्थना की हुई, और काया से प्रारंभ किया कार्य वहां तक सिद्ध नहीं होता, जब तक श्री पंच परमेष्ठि नमस्कार का स्मरण न किया जाये। 14. भोजन के समय, शयन के समय, उठने के समय, प्रवेश के समय, भय के समय, कष्ट के समय - इत्यादि सभी समय सचमुच पंच 385
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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