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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - भला ये आगे आकर क्या करेंगे? कहीं हानि तो नहीं है इनसे? अब सबको नवकार मंत्र का जाप करने को कहा। पहले विश्राम से जो कुछ आहार आदि लाऐ थे, वह निबटाना था। अब रुकना कहां? कुछ समझ में नहीं आया। एक स्थान पर नवकार मंत्र की कार डालकर बैठ गये। नवकार मंत्र में ही मन रमा था। घबराई हुई सतियों को धीरज बन्धाया | और प्रभुनाम पर भरोसा रखकर आगे बढ़े। संयोग की बात है। प्रभु ने हमारी बात सुन ली। उस निर्जन स्थान में एक बस आकर रुकी। कसरावद के दर्शनार्थी भाई उतर पड़े। मन में धैर्य बन्धा। और वे दर्शनार्थी अगले विश्राम तक हमारे साथ रहे। निर्बाधापूर्वक हमारी यात्रा सफल हुई। वहां जाकर हम कुछ देर बैठे ही थे कि पलासनेर की एक मेटाडोर आ रुकी। दर्शनार्थी भाई ने विहार की सुख शान्ति पूछते हुए कहा, "रास्ते में आपको तकलीफ तो नहीं हुई ना?" मैंने कहा, "आनन्द ही आनन्द है भाई!"श्रावकजी ने कहा, "हमें लगा उस शेर ने...।" मैंने पूछा, "कैसा शेर?"श्रावकजी ने कहा-"हम आ रहे थे। ड्राइवर ने रफ्तार तेज कर ली, नहीं तो! गाड़ी के पीछे-पीछे ही दहाड़ता चला आ रहा था।" वह उन्होंने जो स्थान बताया ठीक वही था, जहां हम आहार आदि के लिए रूके थे। पर देखिये नवकार की महिमा! आधे घंटे के पूर्व ही हमारे ऊपर क्या गुजरने वाला था? श्रावकजी के पास मेटाडोर थी अतः उन्होंने रफ्तार बढ़ा ली, पर हम पथिकों के पास भी नवकार महामंत्र की कार थी, जिसके कारण हमारे संकट टल गये। धन्य है प्रभु नाम की अपार महिमा को! "हर लम्हा लबों पर मेरे नवकार का नाम रहे। 'चाँद' चारू चरणों में तेरे निशदिन मेरा ध्यान रहे।" महाराष्ट्रकेसरी पू. सौभाग्यमलजी म. की आज्ञावर्तिनी महाराष्ट्र सौरभ चांदकुंवरजी म.सा. नवकार से संकट पार एक वक्त विहार करते हुए तीन-चार घंटे हो गये। 8-10 किलोमीटर 367
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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